लग जा गले से ऐ तन्हाई-वो जो हसीना
लग जा गले-इस थीम पर आपको एक मधुर गीत सुनवाया
अब सुनिए पुरुष आवाज़ में रंगीन युग से एक निवेदन।
निवेदन नायिका के बजाये तन्हाई से किया जा रहा है।
गीत है फिल्म वो जो हसीना से जिसके दो गीत आपको
सुनवाए जा चुके हैं। इस फिल्म में मिथुन चक्रवर्ती और
रंजीता नायक-नायिका की भूमिकाओं में हैं। रवीन्द्र रावल
के लिखे बोलों को सुर में ढाला है राम-लक्ष्मण (विजय पाटिल)
ने। आवाजें है नितिन मुकेश और उषा मंगेशकर की।
नितिन मुकेश का गाया ये गीत हर समय की युवा पीढ़ी को
भाता रहा है। सरल से शब्दों में दिल की व्यथा कह दी गई
है। गीत की सबसे दमदार पंक्ति है-आग से मैंने प्यास बुझाई !
gईट का विडियो उपलब्ध नहीं है और जिस महाशय ने इस
गीत पर स्लाइड शो बनाया है उसे देख के लगता है कि ये गीत
डिप्रेशन के शिकार लोगों को ज्यादा पसंद आता है।
गीत के बोल:
लग जा गले से ऐ तन्हाई
लग जा गले से ऐ तन्हाई
प्यार मेरा निकला हरजाई
प्यार मेरा निकला हरजाई
लग जा गले से ऐ तन्हाई
प्यार मेरा निकला हरजाई
प्यार मेरा निकला हरजाई
मैं भी रो रो के दूँगी दुहाई
मैं भी रो रो के दूँगी दुहाई
कैसे करूं मैं किसी से गिला
दुनिया में होती तो मिलती वफ़ा
हो, कैसे करूं मैं किसी से गिला
दुनिया में होती तो मिलती वफ़ा
मुझको मोहब्बत रास ना आई
मुझको मोहब्बत रास ना आई
प्यार मेरा निकला हरजाई
प्यार मेरा निकला हरजाई
मैं भी रो रो के दूँगी दुहाई
मैं भी रो रो के दूँगी दुहाई
तू ही बता ऐ मेरी ज़िन्दगी
पहले कहाँ थी ये दीवानगी
हो, तू ही बता ऐ मेरी ज़िन्दगी
पहले कहाँ थी ये दीवानगी
आग से मैंने प्यास बुझाई
आग से मैंने प्यास बुझाई
प्यार मेरा निकला हरजाई
प्यार मेरा निकला हरजाई
मैं भी रो रो के दूँगी दुहाई
मैं भी रो रो के दूँगी दुहाई
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