ऐ मेरे दिल कहीं और चल -दाग १९५२
जैसे आप सब लोग भूल चुके होंगे कि हमारी क्रिकेट की सन १९८३
की विश्व विजेता टीम का एक सदस्य था-बलविंदर संधू जिसने
गोर्डन ग्रीनिज नामक महान सलामी बल्लेबाज़ का विकेट लिया था
लोर्ड्स के मैदान पर वर्ल्ड कप फ़ाइनल में। उसी तरह से शायद आप
भूल चुके होंगे कि दाग फिल्म का गीत-'ऐ मेरे दिल कहीं और चल'
लता मंगेशकर ने भी गाया है। तलत महमूद वाला गीत ज्यादा
लोकप्रिय हुआ इसलिए इसे ज्यादा नहीं सुना गया। अब देखिये
गौतम गंभीर ने मेहनत की लेकिन शतक से चूक जाने की वजह
से उनका नाम याद तो किया जायेगा मगर उतना नहीं जितना धोनी
का। इसका मतलब ये नहीं कि गंभीर का योगदान कमतर था।
गंभीर ने तो पारी की नीव रखी जिसपर विजय की इबारत धोनी ने
लिखी।
इस गीत की एक पंक्ति मुझे कल उस समय याद आई जब घुंघराले बाल
वाले गेंदबाज़ मलिंगा ने भारत के शीर्ष बल्लेबाजों को पेवेलियन की
राह दिखाई । वो पंक्ति इस प्रकार से है-"ज़ख्म फिर से हरा हो गया"
हमारे क्रिकेट मैच भी बिन नाटकीयता के ख़त्म नहीं होते। इसके पहले
हुए २०-२० वर्ल्ड कप को ही लीजिये। आखिरी गेंद तक किसी को ये मालूम
नहीं था कि हम जीतेंगे। खैर अंत सुखांत सो सब सुखांत ।
प्रस्तुत गीत में केवल लता की आवाज़ है मँडोलिन के साथ। बाकी किसी
साज़ की आवश्यकता नहीं थी इस गीत में। न्यूनतम साजों के साथ भी
शंकर जयकिशन ने मधुर गीत बनाये हैं और आप इस गीत को लता
द्वारा गाये सर्वश्रेष्ठ दर्द भरे गीतों में शामिल कर सकते हैं । लेखनी शैलेन्द्र
की है
गीत के बोल:
ऐ मेरे दिल कहीं और चल
गम की दुनिया से दिल भर गया
ढूंढ ले अब कोई घर नया
ऐ मेरे दिल कहीं और चल
गम की दुनिया से दिल भर गया
ढूंढ ले अब कोई घर नया
ऐ मेरे दिल कहीं और चल
चल जहाँ गम के मारे ना हों
झूठी आशा के तारे ना हों
चल जहाँ गम के मारे ना हों
झूठी आशा के तारे ना हों
उन बहारों से क्या फ़ायदा
जिसे दिल की कली जल गई
ज़ख्म फिर से हरा हो गया
ऐ मेरे दिल कहीं और चल
चार आंसू कोई रो दिया
फेर के मुंह कोई चल दिया
चार आंसू कोई रो दिया
फेर के मुंह कोई चल दिया
फेर के मुंह कोई चल दिया
लुट रहा था किसी का जहाँ
देखती रह गई ये ज़मीन
चुप रहा बेरहम आस्मां
ऐ मेरे दिल कहीं और चल
गम की दुनिया से दिल भर गया
ढूंढ ले अब कोई घर नया
ऐ मेरे दिल कहीं और चल
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