तुम्हारे बिन गुज़ारे हैं कई दिन -आत्माराम १९७९
शंकर जयकिशन का संगीत हिंदी फिल्म संगीत की अमूल्य
निधि कहा जाता है। उनके संगीत में आपको वाद्य यंत्रों
का प्रचुर प्रयोग मिलेगा। सन १९७१ में जयकिशन के अवसान
के बाद शंकर अकेले ही संगीत तैयार करते रहे। उन्होंने
जोड़ी का नाम यथावत रखा-शंकर जयकिशन। आम श्रोता
तक इस प्रकार की जानकारी नहीं पहुँच पाती। वो केवल गीत
सुन सुन कर खुश हो लेता है। लता और रफ़ी के गाये युगल
गीत आपने कई सुने होंगे लेकिन कितने आप याद रख पाते
हैं वो अलग बात है। ये गीत सन ८० के आस पास बहुत बजा
करता था। इसकी फिल्म कब आई कब गई कुछ मालूम
नहीं पढ़ा। बरसों बाद जानकारी मिली कि ये शत्रुघ्न सिन्हा
और विद्या सिन्हा अभिनीत फिल्म आत्माराम से है। फिल्म में
आत्माराम का चरित्र शत्रुघ्न ने निभाया है। सिन्हा-सिन्हा की
जोड़ी वाली शायद ही कोई और फिल्म बनी हो । गीत में नायिका
नायक को उकसाती प्रतीत हो रही है और नायक दूर भाग रहा है।
ऐसा क्यूँ है ये जानने के लिए आपको फिल्म एक बार अवश्य देखना
पड़ेगी। फिल्म का निर्माण और निर्देशन सोहनलाल कँवर ने किया,
वही सोहनलाल जिनकी अधिकतर फिल्मों में आपको शंकर जयकिशन
का संगीत मिलेगा। इनकी जो फ़िल्में ज्यादा लोकप्रिय है वो है मनोज
कुमार अभिनीत बेईमान और राजेश खन्ना अभिनीत धनवान।
सन १९७५ की फिल्म सन्यासी के बाद शंकर-जयकिशन के नाम को
लोग भूलने लगे। इस गीत से उन्होंने फिर एक बार अपनी उपस्थिति
दर्ज करायी और उस समय के बने कर्णप्रिय युगल गीतों में इसे उच्च
स्थान दिलवाया। ये बात और है कि लक्ष्मी प्यारे कल्याणजी आनंदजी
और बप्पी लहरी के दौर में वे लम्बे समय तक नहीं टिक पाए।
गीत के बोल:
तुम्हारे बिन गुज़ारे हैं कई दिन अब ना गुजरेंगे
तुम्हारे बिन गुज़ारे हैं कई दिन अब ना गुजरेंगे
जो दिल में आ गई है हम वो कर ही गुजरेंगे
खबर क्या थी के अपने भी सितारे ऐसे बिगड़ेंगे
खबर क्या थी के अपने भी सितारे ऐसे बिगड़ेंगे
के जो पूजा के काबिल हैं वो ही यूँ रंग बदलेंगे
तुम्हारे बिन गुज़ारे हैं कई दिन अब ना गुजरेंगे
कई दिन बाद फिर ये साज ये सिंगार पाया है
नहीं मालूम था के आप यूँ इनकार कर देंगे
तुम्हें कैसे बताएं क्या हमारे साथ गुजरी है
तुम्हारे ख्वाब टूटेंगे अगर सच बात कह देंगे
नगे
तुम्हारे बिन गुज़ारे हैं कई दिन अब ना गुजरेंगे
तुम्हारी एक ना मानेंगे करेंगे आज मनमानी
बहुत तरसाया है तुमने नहीं अब और तरसेंगे
सताया तो नहीं करते कभी किस्मत के मारों को
किसी की जान जाएगी किसी के अरमान निकलेंगे
तुम्हारे बिन गुज़ारे हैं कई दिन अब ना गुजरेंगे
जो दिल में आ गई है हम वो कर ही गुजरेंगे
तुम्हारे बिन गुज़ारे हैं कई दिन अब ना गुजरेंगे
मनाया तुमको कितनी बार लेकिन तुम नहीं माने
तो अब मजबूर होकर हम शरारत पर भी उतरेंगे
हकीकत क्या है ये पहले बता देते तो अच्छा था
खुद अपने जाल से ही हम ना जाने कैसे निकलेंगे
तुम्हारे बिन गुज़ारे हैं कई दिन अब ना गुजरेंगे
जो दिल में आ गई है हम वो कर ही गुजरेंगे
तुम्हारे बिन गुज़ारे हैं, कई दिन अब ना गुजरेंगे
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Tumhare bin guzare hain-Atmaram 1979
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