ये दुनिया नहीं जागीर किसी की-चौकीदार १९७४
वाले दोनों का. दुनिया की जो इतनी आप धापी मची है
वो किसलिए है-दो वक्त की रोटी के लिए. सबसे पहली
ज़रूरत यही है और इसके आगे ऊपर की आग, नीचे की
आग सब फेल है. इंसान के पास रोटी नहीं है तो रोता है
और साग नहीं है तो सागा सुनाता है.
गीत के बोल:
जीते जी दुनिया को जलाया मर के आप जला
पूछो जाने वाले से कोई तेरे साथ चला
ये दुनिया नहीं जागीर किसी की
ये दुनिया नहीं जागीर किसी की
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Ye duniya nahin jagir kisi ki-Chowkidaar 1974
Artist: Om Prakash
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