Jan 7, 2015
दर्लभ गीत सुनवाने का वादा है आपसे अतः आज
बहुत दिनों के बाद एक अनजान सा गीत सुनते हैं.
इसका बहुत कुछ अनजान सा है. उनके लिए नहीं
जो संपूर्ण सफ़ेद बाल वाले संगीत भक्त हैं, मगर
मेरी उम्र के और नयी पीढ़ी के लोगों के लिए ये
अनजान सा ही है. फिल्म का नाम है दौलत. ये
सन १९४९ की फिल्म है. आजादी के दो साल बाद
की. फिल्म के निर्देशक सोहराब मोदी हैं और इसमें
संगीत है हनुमान प्रसाद का. गीत लिखे हैं कमर
जलालाबादी ने और प्रस्तुत गीत एक युगल गीत
है जिसे जोहरा बाई अम्बलेवाली और ललिता
देउलकर ने गाया है. गीत के बोल रोचक हैं और
आपको अवश्य इसे सुनकर आनंद आएगा.
गीत के बोल:
है कहानी प्रीत की इतवार से इतवार तक
है कहानी प्रीत की इतवार से इतवार तक
बात जा पहुंची हमारी दोस्ती से प्यार तक
आये थे छुप छुप के मेरे घर में वो इतवार को
सौ तोहफे लाये वो छेड़ा दिल के तार को
माताजी के दर से वो आये न मंगलवार को
खाना पीना छोड़ कर रोती रही बुधवार तक
खाना पीना छोड़ कर रोती रही बुधवार तक
बात जा पहुंची हमारी दोस्ती से प्यार तक
बात जा पहुंची हमारी दोस्ती से प्यार तक
वीर को आये मेर कमरे की खिडकी खोल कर
चोरी चोरी चल दिए वो मीठी बोली बोल कर
रह गयी आँखें तड़प कर रह गया दिल डोल कर
तू खड़ी ही रह गयी खिडकी में शुक्रवार तक
तू खड़ी ही रह गयी खिडकी में शुक्रवार तक
बात जा पहुंची हमारी दोस्ती से प्यार तक
बात जा पहुंची हमारी दोस्ती से प्यार तक
चोरी चोरी आये थे मिलने शानिचर वार भी
आँख बापू से चुरा कर आये थे इतवार भी
तेरे साजन ने किया है तुझसे कुछ इकरार भी
क्या बताऊँ बात पहुंची ही नहीं इकरार तक
क्या बताऊँ बात पहुंची ही नहीं इकरार तक
है कहानी प्रीत की इतवार से इतवार तक
है कहानी प्रीत की इतवार से इतवार तक
है कहानी प्रीत की इतवार से इतवार तक
है कहानी प्रीत की इतवार से इतवार तक
बात जा पहुंची हमारी दोस्ती से प्यार तक
बात जा पहुंची हमारी दोस्ती से प्यार तक
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Hai kahani preet ki-Daulat 1949
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