खुशी की वो रात आ गयी-धरती कहे पुकार के-१९६९
सुनिए चौथा गीत. विरोधाभास है गीत में-खुशी के अवसर पर गाया
जा रहा है और दर्दीला सुनाई देता है. नायक और नायिका के प्रेम कोण
में तीसरा कोण नायक के पिता द्वारा डाल दिया गया है और इसी वजह
से नायक दहाड़े मार के ये गीत गा रहा है. नायक है-जीतेंद्र, नायिका है
नंदा, तीसरा कोण हैं संजीव कुमार और लव स्टोरी के विलन हैं नायक
के पिता के रोल में कन्हैयालाल. गीत मजरूह ने लिखा है जिसके बोल
सरल से हैं . गायक हैं मुकेश
शहर से पढाई खत्म करके बड़ा भाई गांव वापस आता है और उसे आते
ही विवाह प्रस्ताव उसके पिता द्वारा दिया जाता है. पिता इससे अनभिज्ञ
है कि वो तीसरा कोण पैदा करने जा रहा है. छोटा भाई बेचारा शर्म और
लिहाज के मारे निर्णय नहीं कर पा रहा क्या करे.
गीत के बोल:
खुशी की वो रात आ गयी कोई गीत जगने दो
गाओ रे झूम झूम
गाओ रे झूम झूम
खुशी की वो रात आ गयी कोई गीत जगने दो
गाओ रे झूम झूम
गाओ रे झूम झूम
कहीं कोई काँटा लगे जो पग में तो लगने दो
नाचो रे झूम झूम
नाचो रे झूम झूम
आज हंसूं मैं इतना कि मेरी आँख लगे रोने
आज हंसूं मैं इतना कि मेरी आँख लगे रोने
आज मैं इतना गाऊँ कि मन में दर्द लगे होने
ओ मज़े में सवेरे तलक यही गीत को बजने दो
नाचो रे झूम झूम
खुशी की वो रात आ गयी कोई गीत जगने दो
गाओ रे झूम झूम
धूल हूँ मैं वो पवन बसंती क्यूँ मेरा संग धरे
धूल हूँ मैं वो पवन बसंती क्यूँ मेरा संग धरे
मेरी नहीं तो और किसी की पैया में रंग भरे
ओ दो नैनों में आंसू लिए दुल्हनिया को सजने दो
नाचो रे झूम झूम
खुशी की वो रात आ गयी कोई गीत जगने दो
गाओ रे झूम झूम
कहीं कोई काँटा लगे जो पग में तो लगने दो
नाचो रे झूम झूम
गाओ रे झूम झूम
नाचो रे झूम झूम
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Khushi ki wo raat aa gayi-Dharti kahe pukar ke 1969
Artists: Nanda, Sanjeev Kumar, Jeetendra, Kanhaiyalal

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