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Aug 10, 2020

दिल ने फिर याद किया-महल १९४९

वफ़ा शब्द को शायद उतनी तवज्जो नहीं मिली जितनी कि
बेवफा शब्द को. हिंदी फिल्म संगीत के खजाने में बहुतेरे
लोकप्रिय गीत हैं बेवफा शब्द वाले.

आज हम सन १९४९ की भूतिया फिल्म महल से लता का
गाया और मधुबाला पर फिल्माया गया एक मधुर गीत सुनते
हैं. नक्शब की रचना है और खेमचंद प्रकाश का संगीत. अपने
समकालीनों में खेमचंद प्रकाश ज्यादा विविधता भरा संगीत
रचा करते थे और उनके संगीत में वो अतिरिक्त जीवन्तता
हुआ करती थी जिसकी तलाश कईयों को थी उस वक्त.

अगर आप अपनी दिमागी क्लॉक को उस समय के हिसाब
से सेट कर साकें तो महसूस कर पाएंगे जो मैंने ऊपर कहा है,




गीत  के बोल:

दिल ने फिर याद किया बेवफा लौट भी आ
दिल ने फिर याद किया बेवफा लौट भी आ
बेवफा लौट भी आ बेवफा लौट भी आ
बेवफा लौट भी आ बेवफा लौट भी आ
दिल ने फिर याद किया बेवफा लौट भी आ
.
.
.
........................................................................
Dil ne phir yaad kiya-Mahal 1949

Artist: Madhubala

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Jul 15, 2020

बेदर्द ज़माने क्या तेरी-लाहौर १९४९

विंटेज युग की तरफ एक बार चलते हैं और एक गाना सुनते
हैं फिल्म लाहौर से. राजेंद्र कृष्ण की रचना है और इस गीत
की धुन श्याम सुन्दर ने तैयार की. आज के हिसाब से लगाएं
तो इस फिल्म को रिलीज़ हुए ७१ साल बीत गए.

करण दीवान, नर्गिस और कुलदीप कौर अभिनीत इस फिल्म
का निर्देशन एम एल आनंद ने किया था और निर्माण अभिनेता
करण दीवान के भाई ने किया. एम् एल आनंद ने सन १९५२
की फिल्म बेवफा का निर्देशन भी किया था. इसमें भी अभिनेत्री
नर्गिस मौजूद हैं.

कल हमने गानों के मीटर पर बात की थी. प्रस्तुत गाने का
मीटर भी कभी एमीटर तो कभी वोल्टमीटर हो जाता है. बाकी
समय ये फ्रीक्वेंसी मीटर की तरह चलता रहता है.

संगीतकार श्याम सुन्दर इसी दिन एक फिल्म के गीत की
रिकॉर्डिंग करते करते स्टूडियो में चल बसे थे. बॉलीवुड की कई
प्रतिभाओं को सुरा-प्रेम ने छीन लिया. संगीतकार श्याम सुन्दर
भी उन्हीं में से एक थे





गीत के बोल:

उस दिल की क़िस्मत क्या कहिये
उस दिल की क़िस्मत क्या कहिये
जिस दिल का सहारा कोई नहीं

बेदर्द ज़माने क्या तेरी
बेदर्द ज़माने क्या तेरी महफ़िल में हमारा कोई नहीं
बेदर्द ज़माने क्या तेरी महफ़िल में हमारा कोई नहीं
बेदर्द ज़माने

इस ग़म की रात के आँचल में वैसे तो हज़ारों तारे हैं
वैसे तो हज़ारों तारे हैं
वैसे तो हज़ारों तारे हैं
बन जाये जो आस मुसाफ़िर की
बन जाये जो आस मुसाफ़िर की ऐसा ही सितारा कोई नहीं
बेदर्द ज़माने क्या तेरी महफ़िल में हमारा कोई नहीं
बेदर्द ज़माने

उल्फ़त के चमन में ए नादां
उल्फ़त के चमन में ए नादां क्यूँ ढूँढ रहा है कलियों को
यहाँ ग़म के काँटे चुभते हैं
यहाँ ग़म के काँटे चुभते हैं फूलों का नज़ारा कोई नहीं
बेदर्द ज़माने क्या तेरी महफ़िल में हमारा कोई नहीं
बेदर्द ज़माने
…………………………………………
Bedard zamane kya teri-Lahore 1949

Artist:

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Jul 2, 2020

बहारों ने जिसे छेड़ा है-सुनहरे दिन १९४९

वाह वाह क्या गाना है ये. ऑसम जॉसम. गाने के बोल भी
लाजवाब हैं और संगीत भी.

सुनते हैं शेवान रिज़वी का लिखा और ज्ञान दत्त द्वारा कम्पोज़
किया गया गीत जिसे मुकेश गा रहे हैं परदे पर राज कपूर
के लिए.

आज बॉलीवुड वालों में से अभिनेत्री गौतमी, मोहम्मद अज़ीज़,
और रजा मुराद का जन्मदिन है. निर्देशक महेश कॉल की आज
पुण्यतिथि है.

राज कपूर आल इण्डिया रेडियो के माईक पर गाते दिख रहे हैं
गाने में और रेडियो पर इसे सुनने वालियों में शायद रेहाना और
रूपकमल हैं? पूरा ओर्केस्ट्रा भी दिख रहा है गाने में जो असल
में बजा रहा है या केवल गाने के लिए साज़ हिलाए डुलाये जा
रहे हैं ये आप मालूम कीजिये और हमें भी बतलाइये.





गीत के बोल:

बहारों ने जिसे छेड़ा है वो साज़-ए-जवानी है
ज़माना सुन रहा है जिसको
ज़माना सुन रहा है जिसको वो मेरी कहानी है
बहारों ने जिसे छेड़ा

क़सम खा के किसी को जब कभी अपना बनाऊँगा
चमन की डालियों से लालियाँ फूलों की लाऊँगा
सितारों के चिराग़ों से फिर इस घर को सजाऊँगा
कि इस दुनिया में मुझको एक नई दुनिया बसानी है
बहारों ने जिसे छेड़ा

चमन में सबने ही गाया तराना ज़िन्दगानी का
मगर सबसे अलग था रंग मेरी ही कहानी का
फ़साना इस क़दर रंगीन था मेरी जवानी का
कि जिसने भी सुना कहने लगा मेरी कहानी है
बहारों ने जिसे छेड़ा

कोई समझे ना समझे मैं कहे देता हूँ दुनिया से
कि मैं दुनिया में हूँ मतलब नहीं रखता हूँ दुनिया से
कभी कुछ दिल में आता है तो कह देता हूँ दुनिया से
मेरी आवाज़ ही मेरी तमन्ना की निशानी है
बहारों ने जिसे छेड़ा
ज़माना सुन रहा है जिसको वो मेरी कहानी है
बहारों ने जिसे छेड़ा
………………………………………………
Baharon ne jise chheda-Sunehre Din 1949

Artists: Raj Kapoor, Rehana, Roopkamal, Nigar Sultana

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Jun 21, 2020

नमस्ते नमस्ते-पतंगा १९४९

आज गुज़रे ज़माने की अभिनेत्री निगार सुल्ताना का जन्मदिन है.
इस अवसर पर सुनते हैं श्वेत श्याम युग की फिल्म पतंगा से एक
गीत.

राजेंद्र कृष्ण का गीत है और सी रामचंद्र का संगीत. इस गीत को
चार गायकों ने गाया है-स्वयं संगीतकार, शमशाद बेगम, रफ़ी और
मोहनतारा तलपड़े.

इस गीत में श्याम और गोप के भी दर्शन हो जाते हैं. बाकी लोगों को
आप पहचानिये.




गीत के बोल:

नमस्ते नमस्ते
कल मिलते हैं जी.
..............................................................................
Namaste namaste-Patanga 1949

Artissts: Nigar Sultana, Shyam, Gope, Others

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Jan 31, 2020

बरसात में हमसे मिले-बरसात १९४९

शंकर जयकिशन की फिल्म संगीत क्षेत्र में आगमन के साथ
ही नए युग का शुभारंभ हुआ जिसमें मधुरता के साथ थोड़ी
गति भी थी जो समय के हिसाब से ज़रूरी भी थी. ३० के
दशक की गीतों की गति ४० के दशक तक बरकरार रही और
उसमें थोडा बहुत फेर बदल अनिल बिश्वास, खेमचंद प्रकाश,
सी. रामचंद्र और नौशाद ने किया मगर आमूल चूल परिवर्तन
इस जोड़ी के आगमन के बाद ही हुआ.

सुनते हैं सन १९४९ की चर्चित फिल्म बरसात से शीर्षक गीत
जिसे शैलेन्द्र ने लिखा है. लता मंगेशकर और समूह ने इसे
गाया है. शंकर जयकिशन की अनेक खूबियों में से एक उनकी
फिल्मों के शीर्षक गीत भी हैं जो बेहद लोकप्रिय हैं.

गीत में मिलन और बिछुडन के भाव एक साथ हैं. दूसरे अंतरे
में तक धिना धिन बंद हो जाती है. कोरस गाने वाले दिखना
बंद हो जाते हैं और फिर दोनों नायक और उनकी गाडी भी
ओझल हो जाती है, रह जाता है धूल का गुबार और नायिका
की हाय.




गीत के बोल:


तक धिना धिन धिना धिन
तक धिना धिन
बरसात में
तक धिना धिन
बरसात में हमसे मिले तुम सजन तुमसे मिले हम
बरसात में
तक धिना धिन
बरसात में हमसे मिले तुम सजन तुमसे मिले हम
बरसात में
तक धिना धिन

नैनों से झाँके जी मस्त जवानी
मेरी मस्त जवानी
कहती फिरे दुनिया से दिल की कहानी
मेरे दिल की कहानी
उनकी जो मैं उनसे कैसी शरम
उनकी जो मैं उनसे कैसी शरम
कैसी शरम
बरसात में
तक धिना धिन
बरसात में हमसे मिले तुम सजन तुमसे मिले हम
बरसात में
तक धिना धिन

प्रीत ने सिंगार किया मैं बनी दुल्हन
मैं बनी दुल्हन
सपनों की रिमझिम में नाच उठा मन
मेरा नाच उठा मन
आज मैं तुम्हारी हुई तुम मेरे सनम
आज मैं तुम्हारी हुई तुम मेरे सनम
तुम मेरे सनम

बरसात में
तक धिना धिन
बरसात में हमसे मिले तुम सजन तुमसे मिले हम
बरसात में
तक धिना धिन

ये समाँ है जा रहे हो कैसे मनाऊँ
कैसे मनाऊँ
ये समाँ है जा रहे हो कैसे मनाऊँ
कैसे मनाऊँ
मैं तुम्हारी राह में ये नैन बिछाऊँ
नैन बिछाऊँ
जो ना आओ तुमको मेरी जान की क़सम
जान की क़सम
बरसात में
बरसात में हमसे मिले तुम सजन तुमसे मिले हम
बरसात में

देर ना करना कहीं ये आस टूट जाये
साँस छूट जाये
देर ना करना कहीं ये आस टूट जाये
साँस छूट जाये
तुम ना आओ दिल की लगी मुझको ही जलाये
ख़ाक में मिलाये
आग की लपटों में पुकारे ये मेरा ग़म
मिल ना सके हाय मिल ना सके हम
मिल ना सके हाय मिल ना सके हम
………………………………………………………
Barsaat mein hamse mile tum sajan-Barsaat 1949 

Artist: Nimmi, Raj Kapoor, Premnath

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Nov 4, 2019

ख़ुशी की आस रही दिल को-सावन आया रे १९४९

फिल्म सिकंदर के गीत से एक फिल्म का नाम याद
आ गया. ऐसे ही कड़ी से कड़ी जुड़ती जाती है और
पोस्ट पर पोस्ट बनती जाती है मगर निरंतरता नहीं
रह पाती. सन २०११ में एक गीत सुनवाया था हमने
फिल्म सावन आया रे से. दूसरे गीत का नंबर अब
लग पाया है.

स्ट्रेटेजी बनाना ज़रूरी है किसी भी कार्य में सफलता प्राप्त
करने के लिए. रेंडम बेसिस पर किये गए प्रयास नतीजा
भी वैसा ही देते हैं. ये बात जीवन के सभी पहलुओं पर
लागू होती है तो ब्लॉग लेखन पर भी लागू होती है.

आज सुनते हैं सन १९४९ की फिल्म सावन आया रे से
एक गीत जिसे आरज़ू लखनवी ने लिखा है और जिसकी
धुन बनाई है अपने समय के अत्यंत प्रतिभावान और
गुणी खेमचंद प्रकाश ने. गीत खान मस्ताना ने गाया है.



गीत के बोल:

ख़ुशी की आस रही दिल को और ख़ुशी न हुई
ख़ुशी की आस रही दिल को और ख़ुशी न हुई
ख़ुशी की आस रही दिल को और ख़ुशी न हुई
मैं देखूं चाँद चमकता हो रात ही न हुई
मैं देखूं चाँद चमकता हो रात ही न हुई

अँधेरी रात है तारे न चाँद और न चिराग़
अँधेरी रात है तारे न चाँद और न चिराग़ हाँ
जलाने बैठे जो दिल भी तो रोशनी न हुई
जलाने बैठे जो दिल भी तो रोशनी न हुई
मैं देखूं चाँद चमकता हो रात ही न हुई

ये दिल का ज़ख्म भी होता है कितना गहरा ज़ख्म
ये दिल का ज़ख्म भी होता है कितना गहरा ज़ख्म हाँ
जतन हज़ार किये दर्द में कमी न हुई
जतन हज़ार किये दर्द में कमी न हुई
मैं देखूं चाँद चमकता हो रात ही न हुई
मैं देखूं चाँद चमकता हो रात ही न हुई

ख़ुशी की आस रही दिल को और ख़ुशी न हुई
ख़ुशी की आस रही दिल को और ख़ुशी न हुई

………………………………………………………
Khushi ki aas rahi dil ko-Sawan aaya re 1949

Artist: Kishore Sahu

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Oct 17, 2019

मेरा दिल तड़पा कर कहाँ-शबनम १९४९

कामिनी कौशल अपने ज़माने की एक मशहूर अभिनेत्री
रही हैं. उनकी उपस्थिति फिल्मों में काफी लंबे समय
तक रही और अपने कैरियर के उत्तरार्ध में उन्होंने काफी
सारी चरित्र भूमिकाएं कीं.

बी मित्रा निर्देशित इस फिल्म के नायक दिलीप कुमार
हैं. इस जोड़ी ने चार फिल्मों में अभिनय किया है-
नदिया के पार, शहीद, शबनम और आरजू.

गीत शुरू होता है और सस्पेंस वाले अंदाज़ में नायिका
के हाथ में रस्सी दिखती है, ऐसा लगता है मानो वो
भैंसा चारा रही हो. मगर ये क्या रस्सी का दूसरा सिरा
तो नायक के पैर में दिखलाई दे रहा है. इस बात से
हमें ये शिक्षा मिलती है-एक फोटो देख कर कन्क्लूज़न
पर जंप ना करें.





गीत के बोल:

हो ओ ओ
मेरा दिल तड़पा कर कहाँ चला
इतना तो बता के जा
इसे खेल कहूँ या प्यार कहूँ मुझे ये समझा के जा
ओ ओ ओ मेरा दिल तड़पा कर कहाँ चला

हम लाये प्यार के डोर तू तोड़ सके तो तोड़
लगा ले जोर
हम लाये प्यार के डोर तू तोड़ सके तो तोड़
लगा ले जोर
इसे जीत कहूँ या हार कहूँ इतना तो बताते जा
ओ ओ ओ मेरा दिल तड़पा कर कहाँ चला

हो ओ ओ जब देखा पहली बार तुझे मेरे कानों ने शहनाई सुनी
शहनाई सुनी
मेरे कानों ने शहनाई सुनी मेरे कानों ने शहनाई
क्यों तूने सुनी थी शेहनाई इतना तो बताते जा
हो ओ ओ मेरा दिल तड़पा कर कहाँ चला

होंठों पे ना आँखों में हाँ कुछ रूठे कुछ माने हुए
इकरार है यह इंकार है ये इतना तो बता के जा
हो ओ ओ मेरा दिल तड़पा कर कहाँ चला

जी भर के सताया तूने हमें अब चोरी चोरी जाने लगा
ओ दूर देश के सौदागर कर्ज़ा तो चुका के जा
ओ दूर देश के सौदागर कर्ज़ा तो चुका के जा
हो ओ ओ मेरा दिल तड़पा कर कहाँ चला
इतना तो बता के जा
इसे खेल कहूँ या प्यार कहूँ मुझे ये समझा के जा
हो ओ ओ मेरा दिल तड़पा कर कहाँ चला
............................................................
Mera dil tadpa kar kahan chala-Shabnam 1949

Artist: Kamini Kaushal, Dilip Kumar

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Oct 14, 2019

जिया बेक़रार है-बरसात १९४९

हसरत जयपुरी  के सबसे पहले लिखे हुए गीतों में हैं बरसात का
ये गीत जो आज आप सुनेंगे. ये उनका पहला गीत है जो रिकॉर्ड
किया गया. टीमवर्क के फायदे और करिश्मे क्या होते हैं वो
आप शैलेन्द्र, हसरत, शंकर और जयकिशन की टीम के कार्य से
समझें. इस टीम ने करिश्माई संगीत रचा जो आज की नयी पीढ़ी
को भी लुभाता है.

इकबाल हुसैन उनका मूल नाम है और उन्होंने जयपुर से बम्बई
आने के बाद दस साल बस कंडक्टरी करी. उसके बाद उन्हें मौका
मिला फिल्मों में लिखने का. क्या उनका ये दस साल का अनुभव
जिम्मेदार है उनके रोमांटिक गीतों में चुम्बकीय प्रभाव के लिए?

६० के दशक में संगीतकार जोड़ी के बीच अलगाव और सन १९६६
में शुरू हुए बिखराव-बिछुडन के बाद उनके काम में वो बात नहीं
बची और उनके हिस्से के काम में दूसरे लोगों ने सेंधमारी करना
शुरू कर दिया और सन १९७३ के बाद उनकी फ़िल्में कम होती
चलीं. हालांकि उन्होंने बीस साल राज़ किया हिंदी फिल्म संगीत
जगत में जो कि बड़ी उपलब्धि है. इतने समय तक इसके पहले
के संगीतकार और उनकी जोडियाँ नहीं टिक पाईं.



गीत के बोल:

जिया बेक़रार है छाई बहार है
आ जा मोरे बलमा तेरा इन्तज़ार है
जिया बेक़रार है छाई बहार है
आ जा मोरे बलमा तेरा इन्तज़ार है
ओ ओ ओ सूरज देखे चँदा देखे सब देखें हम तरसे हो
सब देखें हम तरसे
ओ ओ ओ सूरज देखे चँदा देखे सब देखें हम तरसे हो
सब देखें हम तरसे
जैसे बरसे कोई बदरिया वैसे अँखियाँ बरसे
जैसे बरसे कोई बदरिया वैसे अँखियाँ बरसे
वैसे अँखियाँ बरसे
जिया बेक़रार है छाई बहार है
आजा मोरे बलमा तेरा इन्तज़ार है
जिया बेक़रार है

ओ ओ ओ नैनों से एक तारा टूटे मिट्टी में मिल जाए हो
मिट्टी में मिल जाए
ओ ओ ओ नैनों से एक तारा टूटे मिट्टी में मिल जाए हो
मिट्टी में मिल जाए
आँसू की बरसात बलमवा दिल में आग लगाए
आँसू की बरसात बलमवा दिल में आग लगाए
दिल में आग लगाए

जिया बेक़रार है छाई बहार है
आ जा मोरे बलमा तेरा इन्तज़ार है
जिया बेक़रार है

ओ ओ ओ तुझको नज़रें ढूँढ रही हैं मुखड़ा तो दिखला जा हो
मुखड़ा तो दिखला जा
ओ ओ ओ तुझको नज़रें ढूँढ रही हैं मुखड़ा तो दिखला जा हो
मुखड़ा तो दिखला जा
रस्ते पर हूँ आस लगाए आने वाले आ जा
रस्ते पर हूँ आस लगाए आने वाले आ जा
आने वाले आ जा

जिया बेक़रार है छाई बहार है
आ जा मोरे बलमा तेरा इन्तज़ार है
जिया बेक़रार है छाई बहार है
आ जा मोरे बलमा तेरा इन्तज़ार है
जिया बेक़रार है
..........................................................
Jiya beqaraar hai-Barsaat 1949

Artist: Nimmi

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Aug 31, 2019

आँखें कह गईं दिल की बात-लाडली १९४९

काली काली आँखें क्या कह गयीं जो हीरो के लट्टू
फ्यूज हैं? सुनते हैं फिल्म लाडली से शिवदयाल बातिश
का गाया हुआ गाना जिसे लिखा है आह सीतापुरी ने
और धुन तैयार की है अनिल बिश्वास ने.

शिवदयाल बातिश स्वयं कुछ गीतों का संगीत रच
चुके हैं फिल्मों के लिए. उन्होंने दूसरे संगीतकारों के
लिए भी कुछ गीत गाये. शास्त्रीय संगीत वाले गायकों
को फिल्म क्षेत्र में अवसर कम मिलते हैं.



गीत के बोल:

आँखें कह गईं दिल की बात
आँखें कह गईं दिल की बात
दो काली मतवाली आँखें
वो काली मतवाली आँखें
जिनकी अनोखी घात
आँखें कह गईं दिल की बात
आँखें कह गईं दिल की बात

ले गये सब कुछ एक नज़र में
दे गये सब कुछ एक नज़र में
दे गये सब कुछ एक नज़र में
जिसकी तमन्ना में जीते थे
मिल गई वो सौगात
आँखें कह गईं दिल की बात
आँखें कह गईं दिल की बात

ले गए दिल और दिल की कहानी
ले गए दिल और दिल की कहानी
दे गए पीर एक पीर सुहानी
एक पीर सुहानी
ले कर दिल का चैन दे गए
बिना नींद की रात
आँखें कह गईं दिल की बात
आँखें कह गईं दिल की बात
दो काली मतवाली आँखें
वो काली मतवाली आँखें
जिनकी अनोखी घात
आँखें कह गईं दिल की बात
आँखें कह गईं दिल की बात
…………………………………………….
Aankhen keh gayin dil ki baat-Laadli 1949

Artist:

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तुम मुझको भूल जाओ-बड़ी बहन १९४९

सुरैया की आवाज़ में एक दिलकश नगमा सुनते हैं फिल्म
बड़ी बहन से. फिल्म से आप काफी गीत सुन चुके हैं. इतने
सुन लिए एक और सुन लीजिए.

फिल्म में सुरैया एक परिवार के यहाँ नौकरी करने पहुँचती
है उसके बाद उसकी रहमान से मुलाकात होती है. मामला
आगे बढ़ता है और उसी दौर में ये गीत आता है.

गीत है कमर जलालाबादी का और इसकी धुन तैयार की है
हुस्नलाल भगतराम ने. इसे सुरैया ने गाया है परदे पर और
उसके पीछे भी.




गीत के बोल:

तुम मुझको भूल जाओ तुम मुझको भूल जाओ
अब हम ना मिल सकेंगे अब हम ना मिल सकेंगे
डाली से फूल टूटे डाली से फूल टूटे
अब कैसे खिल सकेंगे अब कैसे खिल सकेंगे
तुम मुझको भूल जाओ तुम मुझको भूल जाओ

एक रोज तो चकोरी देखेगी चाँद प्यारा
एक रोज तो मिलेगा हर लहर को किनारा
हम देखते रहेंगे हम देखते रहेंगे
रो रो के ये कहेंगे
अब हम ना मिल सकेंगे अब हम ना मिल सकेंगे
तुम मुझको भूल जाओ तुम मुझको भूल जाओ

शहनाइयां बजेंगी और दुल्हनें सजेंगी
हाथों में मल के मेहँदी साजन के घर चलेंगी
हम देखते रहेंगे हम देखते रहेंगे
रो रो के ये कहेंगे
अब हम ना मिल सकेंगे अब हम ना मिल सकेंगे
तुम मुझको भूल जाओ तुम मुझको भूल जाओ
अब हम ना मिल सकेंगे अब हम ना मिल सकेंगे
तुम मुझको भूल जाओ तुम मुझको भूल जाओ
………………………………………………………………..
Tum mujhko bhool jao-Bade behan 1949

Artists: Suraiya, Rehman

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Aug 5, 2019

घबरा के जो हम सर को-महल १९४९

कभी कभी कोई गीत की पंक्ति मन में प्रश्नचिन्ह छोड़ देती
है, किसी शब्द को लेकर या फ़िर किसी भाव को ले कर.
सन १९४९ की फिल्म महल में कई खूबसूरत गीत हैं. एक
और सुनते हैं आज.

गीत में सर को टकराने की बात की गयी है. सबसे पहला
विकल्प दिमाग में आता है-पत्थर. अंडरस्टुड जैसी चीज़ है
ये तो. इसमें सोचना क्या. मेरे जैसे कई संगीतप्रेमी ऐसा ही
सोचते हैं. मगर, सन्दर्भ सहित भावाख्या करने वाले इसके
अलग अलग मायने निकाल सकते हैं. दूसरा विकल्प फिल्मों
के ही अनुसार जो हो सकता है वो है-अपना सर किसी दूसरे
के सर पे दे मारना. ये ढिशुम ढिशुम वाली फिल्मों में हम
अक्सर देखते हैं.

बहरहाल जो भी हो, इन सब से इस गीत की खूस्ब्सूरती कम
ना होगी. नक्शब के लिखे गीत को गाया है राजकुमारी दुबे
ने. इसे विजयलक्ष्मी नाम की अभिनेत्री पर फिल्माया गया है.



गीत के बोल:

घबरा के जो हम सर को टकराएं तो अच्छा हो
घबरा के जो हम सर को टकराएं तो अच्छा हो
इस जीने में सौ दुख हैं
इस जीने में सौ दुख हैं मर जाएं तो अच्छा हो
मर जाएं तो अच्छा हो
घबरा के जो हम सर को टकराएं तो अच्छा हो

दिल डूबने का मंज़र वो भी तो ज़रा देखें
दिल डूबने का मंज़र वो भी तो ज़रा देखें
आँसू मेरी आँखों में
आँसू मेरी आँखों में भर आएं तो अच्छा हो

घबरा के जो हम सर को टकराएं तो अच्छा हो

जो हम पे गुज़रनी है
जो हम पे गुज़रनी है इक बार गुज़र जाये
जो हम पे गुज़रनी है इक बार गुज़र जाये
वो कितने सितमगर है खुल जाए तो अच्छा हो

घबरा के जो हम सर को टकराएं तो अच्छा हो
…………………………………………………………….
Ghabra ke jo ham-Mahal 1949

Artist: Vijaylaxmi

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Oct 15, 2018

मैं ज़िंदगी में हरदम-बरसात १९४९

बरसात फिल्म में एक दर्द भरा गीत मुकेश की आवाज़ में
है तो दूजा रफ़ी की आवाज़ में है.

फिल्म में इमोशंस की बरसात है, सिनेमा संगीत के ट्रेंड चेंज
का बिगुल है, मौसमी बरसात है और तो और गानों की बरसात
भी है.

जिन दोनों दर्द भरे गीतों की बात हो रही है ऊपर दोनों ही
हसरत जयपुरी ने लिखे हैं. फिल्म में अधिकाँश गीत उनके
ही हैं. पतली कमर, तिरछी नज़र वाला दोरंगा गीत शैलेन्द्र
ने लिखा है. दो तरह के इमोशंस वाला ये गीत काफी अनूठा
था उस समय के हिसाब से.

सुनते हैं रफ़ी की आवाज़ में ये गीत. गीत में धुआं उठ रहा
है. ये लकडियों के जलने का धुआं है या दिल से उठने वाला?


गीत के बोल:

मैं ज़िंदगी में हरदम रोता ही रहा हूँ
मैं ज़िंदगी में हरदम रोता ही रहा हूँ
रोता ही रहा हूँ तड़पता ही रहा हूँ
मैं ज़िंदगी में हरदम रोता ही रहा हूँ

उम्मीद के दिये बुझे दिल में है अंधेरा
जीवन का तो साथी न बना कोई भी मेरा
जीवन का तो साथी न बना कोई भी मेरा
फिर किस के लिये
फिर किस के लिये आज मैं जीता ही रहा हूँ
मैं ज़िंदगी में हरदम रोता ही रहा हूँ
मैं ज़िंदगी में हरदम रोता ही रहा हूँ

रह रह के हँसा है मेरी हालत पे ज़माना
रह रह के हँसा है मेरी हालत पे ज़माना
क्या दुःख है मुझे ये तो किसी ने भी न जाना
क्या दुःख है मुझे ये तो किसी ने भी न जाना
ख़ामोश
ख़ामोश मोहब्बत लिये फिरता ही रहा हूँ
मैं ज़िंदगी में हरदम रोता ही रहा हूँ
आई न मुझे रास मोहब्बत की फिज़ायें

आई न मुझे रास मोहब्बत की फिज़ायें
आई न मुझे रास मोहब्बत की फिज़ायें
शरमाई मेरी आँख से सावन की घटायें
लहरों में सदा
लहरों में सदा ग़म की मैं बहता ही रहा हूँ

मैं ज़िंदगी में हरदम रोता ही रहा हूँ
मैं ज़िंदगी में हरदम रोता ही रहा हूँ
रोता ही रहा हूँ तड़पता ही रहा हूँ
मैं ज़िंदगी में हरदम रोता ही रहा हूँ
………………………………………………………
Main zindagi mein hardam-Barsaat 1949

Artists: Raj Kapoor, Nargis

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Oct 10, 2018

प्रेम नगर में बसने वालों-बरसात १९४९

फिल्म बरसात में छोटा सा गीत भी है. दर्द से
लबालब. इसे लिखा है रोमांटिक गानों के राजा
हसरत ने. लाता मंगेशकर का ये गीत ४० के
दशक को ट्रिब्यूट जैसा है.

मासूम सी नायिका अपने टूटे दिल से पुकार
रही है और आगाह कर रही है प्यार करने
वालों को जो प्यार में मदमस्त हैं और कुछ
पीछे छोड़ आने के बाद नया पाने की खुशी
मना रहे हैं.



गीत के बोल:

प्रेम नगर में बसने वालों
अपनी जीत पे हँसने वालों
प्रीत हँसाये प्रीत रुलाये
प्रीत मिलाये प्रीत ही साथ छुड़ाये

हँसमुख फूलो ये मत भूलो
हँसमुख फूलो ये मत भूलो
ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ
ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ
ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ
ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ
…………………………………………
Prem nagar mein basen walon-Barsaat 1949

Artists: Nimmi, Nargis, Raj Kapoor

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Apr 14, 2018

चार दिनों की चाँदनी है-गर्ल्स स्कूल १९४९

४० के दशक से एक गीत सुनते हैं अनिल बिश्वास के संगीत
निर्देशन वाला. कवी प्रदीप इसके रचयिता हैं और इसे गाया
है शंकर दासगुप्ता और लता मंगेशकर ने.

फिल्म के गीतों में दर्शनवाद बोलती फिल्मों के आगमन के
समय से ही रहा है. सन्देश देने के लिए गीत एक अच्छा
माध्यम होते थे. आज तो साधन बहुत से हैं मगर उस समय
अखबार और रेडियो प्रमुख साधन हुआ करते थे.





गीत के बोल:

बार बार तुम सोच रही हो मन में कौन सी बात
मन में कौन सी बात
बार बार तुम सोच रही हो मन में कौन सी बात
मन में कौन सी बात
चार दिनों की चाँदनी है
चार दिनों की चाँदनी है फिर अँधियारी रात
फिर अँधियारी रात
चार दिनों की चाँदनी है

आज तुम्हारे चेहरे की रंगत बोलो क्यों बदली है
मुझे भी ख़ुद मालूम नहीं के मेरी कश्ती किधर चली है
मुझे भी ख़ुद मालूम नहीं के मेरी कश्ती किधर चली है
दूर वो देखो झिलमिल झिलमिल चमक रही है अपनी मंज़िल
उस मंज़िल की ओर सजनिया चलो चलें एक साथ

चार दिनों की चाँदनी है फिर अँधियारी रात
फिर अँधियारी रात
चार दिनों की चाँदनी है

कितना है आसान जगत में मन के महल बनाना
पर कितना मुश्क़िल है अपने हाथ से उन्हें गिराना
कितना है आसान जगत में मन के महल बनाना
पहले एक धुँधली सी आशा फिर मजबूरी और निराशा
प्रेम के पथ पर हर प्रेमी को मिली यही सौग़ात
प्रेम के पथ पर हर प्रेमी को मिली यही सौग़ात

चार दिनों की चाँदनी है फिर अँधियारी रात
फिर अँधियारी रात
चार दिनों की चाँदनी है
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Chaar dinon ki chandni hai-Girls School 1949

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Apr 4, 2018

वो पास रहें या दूर रहें-बड़ी बहन १९४९

हिंदी सिने संगीत इतिहास की सबसे पहली सफल जोड़ी
है हुस्नलाल भगतराम की. ४० और पचास के दशक में
इनके गीत खूब बजा करते थे.

हुस्नलाल भगतराम की सबसे सफल फिल्मों में से एक
है बड़ी बहन. इस फिल्म के अधिकाँश गीत लोकप्रिय की
श्रेणी में आते हैं. फिल्म में सुरैया और लता मंगेशकर के
गाये गीत ही ज्यादा हैं. फिल्म के लिए दो गीतकारों ने
गीत लिखे-राजेन्द्र कृष्ण और कमर जलालाबादी. भाषा
पर दोनों की बढ़िया पकड़ थी और दोनों ही सरलता से
अपनी बात कहने के लिए प्रसिद्ध रहे.




गीत के बोल:

वो पास रहें या दूर रहें
नज़रों में समाये रहते हैं
इतना तो बता दे कोई हमें
क्या प्यार इसी को कहते हैं
वो पास रहें या दूर रहें
नज़रों में समाये रहते हैं
इतना तो बता दे कोई हमें
क्या प्यार इसी को कहते हैं

छोटी सी बात मुहब्बत की
छोटी सी बात मुहब्बत की
और वो भी कही नहीं जाती
कुछ वो शरमाये रहते हैं
कुछ हम शरमाये रहते हैं

वो पास रहें या दूर रहें
नज़रों में समाये रहते हैं
इतना तो बता दे कोई हमें
क्या प्यार इसी को कहते हैं

मिलने की घड़ियाँ छोटी हैं
मिलने की घड़ियाँ छोटी हैं
और रात जुदाई की लम्बी
जब सारी दुनिया सोती है
हम तारे गिनते रहते हैं

वो पास रहें या दूर रहें
नज़रों में समाये रहते हैं
इतना तो बता दे कोई हमें
क्या प्यार इसी को कहते हैं
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Wo paas rahen ya door rahen-Badi behan 1949

Artist: Suraiya

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Jan 30, 2018

चाहे कितनी कठिन डगर हो-जीत १९४९

कथनी और करनी में अंतर खत्म होने पर ही आदमी महात्मा
कहलाता है. सुनने में आसान लगता है मगर कंटकाकीर्ण मार्ग
से ताउम्र निकलना पडता है और सभी बाधओं को स्वीकारते
हुए उनसे पार भी पाना पडता है.

गांधी जी ने असम्भव सी लगने वाली इस देश की आजादी की
राह आसान बनाने में अपना बड़ा योगदान दिया. आज के दिन
एक प्रेरणादायी गीत सुनते हैं सन १९४९ की फिल्म जीत से.

इसे लिखा है प्रेम धवन ने और इसका संगीत तैयार किया है
अनिल बिश्वास ने. शंकर दासगुप्ता और सुरैया ने इसे गाया है.



गीत के बोल:

चाहे कितनी कठिन डगर हो
हम क़दम बढ़ाते जायेंगे
क़दम बढ़ाते हँसते गाते
धूम मचाते जायेंगे
चाहे कितनी कठिन डगर हो
हम क़दम बढ़ाते जायेंगे
क़दम बढ़ाते हँसते गाते
धूम मचाते जायेंगे
चाहे कितनी कठिन डगर हो

जिस पथ पर तुम चरण धरोगे
जिस पथ पर तुम चरण धरोगे
अपने नैन बिछाऊँगी
तुमरे पथ के काँटों को
पलकों से उठाती जाऊँगी
तुमरे पथ के काँटों को
पलकों से उठाती जाऊँगी
जब लग प्रान रहेंगे
जब लग प्रान रहेंगे
एक दूजे का साथ निभायेंगे

क़दम बढ़ाते जायेंगे
क़दम बढ़ाते हँसते गाते
धूम मचाते जायेंगे
चाहे कितनी कठिन डगर हो

इस दुखियारे जग में तुम ही
नैनन का उजियारा हो
सूने लम्बे जीवन-पथ का
तुम ही एक सहारा हो
सूने लम्बे जीवन-पथ का
तुम ही एक सहारा हो
तुम संग हो तो पाँव मेरे
कभी न ठोकर खायेंगे

क़दम बढ़ाते जायेंगे
क़दम बढ़ाते हँसते गाते
धूम मचाते जायेंगे
चाहे कितनी कठिन डगर हो

हमको मिल कर इस दुखियारे
जग को स्वर्ग बनाना है
हमको मिल कर इस दुखियारे
जग को स्वर्ग बनाना है
 सब अपने हैं सबको
मानवता का प्यार सिखाना है
सब अपने हैं सबको
मानवता का प्यार सिखाना है
जो सबको उजियारा दे
जो सबको उजियारा दे
एक ऐसी ज्योत जलायेंगे

क़दम बढ़ाते जायेंगे
क़दम बढ़ाते हँसते गाते
धूम मचाते जायेंगे
चाहे कितनी कठिन डगर हो
…………………………………………………………
Chahe kitni kathin dagar ho-Jeet 1949

Artists: Dev Anand, Suraiya

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Jan 6, 2018

इस दुनिया में ऐ दिल वालों-दिल्लगी १९४९

रफ़ी के गाये एक्स्ट्रा स्वीट गीतों में से एक सुनते हैं आज. ये है
फिल्म दिल्लगी से जिसे श्याम पर फिल्माया गया है. इसके बोल
हैं शकील बदायूनीं के और धुन है नौशाद की.

फिल्म में कई कर्णप्रिय गीत हैं. फिल्म की नायिका सुरैया के जो
गाने हैं वो काफी लोकप्रिय रहे हैं अपने युग में और आज भी उतने
ही चाव से सुने जाते हैं. ओवरआल पूरा एल्बम ही बढ़िया है.




गीत के बोल:

इस दुनिया में ऐ दिलवालों
दिल का लगाना खेल नहीं
उल्फ़त करना खेल है लेकिन
कर के निभाना खेल नहीं

जबसे हुए हैं दूर वो हमसे
जबसे हुए हैं दूर वो हमसे
ढूँढ रही है उनको नज़र
ढूँढ रही है उनको नज़र
हाय रे ओ बेदर्द ज़माने
हाय रे ओ बेदर्द ज़माने
ये भी नहीं है उनको ख़बर
ये भी नहीं है उनको ख़बर
आग लगी है दिल में कुछ ऐसी
जिसका बुझाना खेल नहीं

इस दुनिया में ऐ दिलवालों
दिल का लगाना खेल नहीं

लाख सताएँ प्यार के दुश्मन
लाख सताएँ प्यार के दुश्मन
भूल सकेंगे उनको न हम
भूल सकेंगे उनको न हम
और बढ़ेगी उनकी मोहब्बत
और बढ़ेगी उनकी मोहब्बत
जितने भी होंगे ज़ुल्म-ओ-सितम
जितने भी होंगे ज़ुल्म-ओ-सितम
कह दे ये कोई नादानों से
हमको पिटाना खेल नहीं

इस दुनिया में ऐ दिलवालों
दिल का लगाना खेल नहीं
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I sduniya mein ae dil walon-Dillagi 1949

Artist: Shyam

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Jan 1, 2018

आयेगा आयेगा आयेगा-महल १९४९

लिखने वाले को भी नहीं मालूम होगा ये तूफ़ान के पहले की
ख़ामोशी बनेगी. ये तीन शब्द-आयेगा आयेगा आयेगा ने सारे
फिल्म संगीत के समीकरण को बदल दिया. एक रहस्यमयी
फिल्म के लिए ये गीत तैयार किया गया था. उस ज़माने के
प्रतिभाशाली संगीतकार खेमचंद प्रकाश ने इसका संगीत तैयार
किया था जिनकी धुनें बातें करती से प्रतीत होती हैं.

इस गीत में सभी कुछ नपा तुला सा लगता है. इसी फोर्मेट पर
थोड़ी तेज गति में कई भूतिया फिल्मों के गाने बने जिनमें से
अधिकाँश लाता के गाये हुए हैं.

नए साल के शुभारंभ पर इसे ही सुन लेते हैं. जब साल की अंतिम
तिथि पे हम आयेगा आयेगा नया साल करते हैं तो आयेगा आयेगा
वाले गाने को ही सुनें. गीत नक्शब ने लिखा है.





गीत के बोल:

ख़ामोश है ज़माना चुप-चाप हैं सितारे
आराम से है दुनिया बेकल है दिल के मारे
ऐसे में कोई आहट इस तरह आ रही है
जैसे कि चल रहा हैमन में कोई हमारे
या दिल धड़क रहा है इक आस के सहारे

आयेगा आयेगा आयेगा
आयेगा आने वाला आयेगा
आयेगा आने वाला आयेगा

दीपक बग़ैर कैसे परवाने जल रहे हैं
दीपक बग़ैर कैसे परवाने जल रहे हैं
कोई नहीं चलाता और तीर चल रहे हैं
तड़पेगा कोई कब तक बेआस बेसहारे
तड़पेगा कोई कब तक बेआस बेसहारे
लेकिन ये कह रहे हैं दिल के मेरे इशारे

आयेगा आयेगा आयेगा
आयेगा आने वाला आयेगा
आयेगा आने वाला आयेगा


भटकी हुई जवानी मँज़िल को ढूँढती है
भटकी हुई जवानी मँज़िल को ढूँढती है
माझी बग़ैर नैया शाहिल को ढूँढती है
क्या जाने दिल की कश्ती कब तक लगे किनारे
लेकिन ये कह रहे हैं दिल के मेरे इशारे

आयेगा आयेगा आयेगा
आयेगा आने वाला आयेगा
आयेगा आने वाला आयेगा
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Aayega aayega aayega-Mahal 1949

Artist: Madhubala

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Dec 22, 2017

लिखने वाले ने लिख दी-बड़ी बहन १९४९

सुनते हैं एक किस्मत पर बना हुआ गीत जिसे राजेंद्र कृष्ण
ने लिखा है. गीतकार का नाम हम अक्सर चर्चा के अंत में
किया करते हैं. अरे भाई जब गीतकार लिखेगा ही नहीं तो
गायक गायेगा क्या?

किसी भी गीत की सफलता में गाने के बोलों का महत्वपूर्ण
योगदान होता है. कोई कोई गीत अपने टूं टां संगीत की वजह
से भी लोकप्रिय हो जाता है. मगर, बेसिक रिक्वायरमेंट यही है
गीत अच्छा हो.

गीत सुरैया ने गाया है और ये उन्हीं पर फिल्माया भी गया है. 



गीत के बोल:

दिल तेरे आने से पहले भी यूँ ही बरबाद था
और यूँ ही बरबाद है तेरे चले जाने के बाद

ओ ओ लिखने वाले ने
ओ ओ लिखने वाले ने लिख दी मेरी तक़दीर में बरबादी
लिखने वाले ने
हो ओ लिखने वाले ने लिख दी मेरी तक़दीर में बरबादी
हो ओ लिखने वाले ने

दिल को जब तेरी मुहब्बत का इशारा मिल गया
मैंने समझा मेरी कश्ती को किनारा मिल गया
हाय क़िस्मत को मगर कुछ और ही मंज़ूर था
आँख जब खोली तो कश्ती से किनारा दूर था

ओ ओ लिखने वाले ने
ओ ओ लिखने वाले ने लिख दी मेरी तक़दीर में बरबादी
ओ ओ लिखने वाले ने लिख दी मेरी तक़दीर में बरबादी
लिखने वाले ने
ओ ओ लिखने वाले ने

छोड़ कर दुनिया तेरी तुझको भुलाने के लिये
हम चले आये यहाँ आँसू बहाने के लिये
दिल अभी भूला न था तुझको के फिर क़िस्मत मेरी
खेंच कर लाई तुझे मुझको रुलाने के लिये

ओ ओ लिखने वाले ने
ओ ओ लिखने वाले ने लिख दी मेरी तक़दीर में बरबादी
लिखने वाले ने
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Likhne wale ne likh di-Badi behan 1949

Artist: Suraiya

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Oct 29, 2017

घिर घिर के आई बदरिया-एक थी लड़की १९४९

कहने का अंदाज़ बदल जाता है और एक आध शब्द इधर से उधर
हो जाए मगर अर्थ वही रहता है. चाहे घिर घिर आये चाहे घिर घिर
के आये, चाहे घुमड़ घुमड़ कर आये बदरिया तो बदरिया ही रहेगी.
जैसे बॉयज़ विल बी बॉयज़ एंड बंदरियाज़ विल बी बंदरियाज़.

एक और गीत सुनते हैं बदरिया वाला फिल्म एक थी लड़की से. इसे
अज़ीज़ कश्मीरी ने लिखा और विनोद ने संगीत से संवारा. गायिका हैं
लता मंगेशकर और इसे फिल्माया गया है मीना शौरी पर.




गीत के बोल:

घिर घिर के आई बदरिया
साजनवा न जा
घिर घिर के आई बदरिया
साजनवा न जा
रोते हैं नैन बावरे इन्हें समझा जा
रोते हैं नैन बावरे इन्हें समझा जा
घिर घिर के आई बदरिया
साजनवा न जा

पहले तो आस दिलाई
अब फिर क्यूँ आँख चुराई
पहले तो आस दिलाई
अब फिर क्यूँ आँख चुराई
हाथों में हाथ दिया है लाज निभा जा
हाथों में हाथ दिया है लाज निभा जा
रोते हैं नैन बावरे इन्हें समझा जा
घिर घिर के आई बदरिया
साजनवा न जा
घिर घिर के आई बदरिया
साजनवा न जा

आँखें फ़रियाद करेंगी रो रो कर याद करेंगी
आँखें फ़रियाद करेंगी रो रो कर याद करेंगी
आँखों की भूल बालमा आ के बता जा
आँखों की भूल बालमा आ के बता जा
रोते हैं नैन बावरे इन्हें समझा जा
घिर घिर के आई बंदरिया
साजनवा न जा
घिर घिर के आई बदरिया
साजनवा न जा
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Ghir ghir ke aayi-Ek thi ladki 1953

Artist: Meena Shorey

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