May 25, 2015

झूले में पवन के-बैजू बावरा १९५२

पिछली एक पोस्ट में हमने जिक्र किया था कि अगर
सफलता के प्रतिशत के लिहाज से सोचा जाए तो शायद
नौशाद हिंदी फिल्मों के सबसे सफल संगीतकार माने जाते
हैं. उनके संगीत से सजी कुछ फ़िल्में रेकोर्ड-तोड़ कामयाबी
देख चुकी हैं.

आइये सुनते हैं फिल्म बैजू बावरा से एक गीत. इसे लिखा
है शकील बदायूनीं ने और गाया है लता और रफ़ी ने.

फिल्म बैजू बावरा के सभी गीत सुने जाते हैं. कैसेट के
ज़माने में कोम्बिनेशन आया करते थे जिसमें दो फिल्म
के गाने होते, ऐसा ही एक था बसंत बहार-बैजू बावरा.
ये कोम्बिनेशन लगभग हर उत्तम कोटि के संगीत प्रेमी के
पास मुझे देखने को मिला. एच एम् वी कंपनी इसे निकाला
करती थी जो अब ‘सा रे गा मा’ के नाम से जानी जाती है.

पवन के हिंडोले के बारे में मैंने ज्यादा सुना. ये पहला मौका
था जब हवा के झूले के बारे में शब्द मेरे कान में पढ़े. हवा
यूँ भी चला और बहा करती है और बहारें भी आया करती हैं
मगर एक कवि उसके आगमन को अनूठा बना देता है शब्दों
के लच्छे पिरो कर.



गीत के बोल:

झूले में पवन के आई बहार
नैनों में नया रंग लाई बहार
प्यार छलके, हो प्यार छलके
डोले मन मोरा सजना, डोले मन मोरा
हो जी हो
डोले मन मोरा सजना
चूनरिया बार-बार ढलके
झूले में पवन के आई बहार
प्यार छलके, हो प्यार छलके

मेरी तान से ऊँचा, तेरा झूलना गोरी
मेरे झूलने के संग तेरे प्यार की डोरी
तू है जीवन सिंगार. प्यार छलके
झूले में पवन के आई बहार
प्यार छलके, हो प्यार छलके

बादल झूमते आये, गागर प्यार की लाये
कोयल कूकती जाये, बन में मोर भी गाये
छेड़ें हम-तुम मल्हार, प्यार छलके

झूले में पवन के आई बहार
नैनों में नया रंग लाई बहार
प्यार छलके, हो प्यार छलके
..................................................
Jhoole mein pawan ke aayi bahar-Baiju Bawra 1952

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