Jun 23, 2015

हमको किसके गम ने मारा - गुलाम अली

आज सुनिए गुलाम अली की गाई हुई एक गज़ल.
इसे मसरूर अनवर ने लिखा है. ये गुलाम अली की
गाई हुयी लोकप्रिय गज़लों में से एक है.

दोस्ती और प्यार के नाम ये गज़ल थोड़े ही शब्दों
में रिश्तों के पलस्तर उधेड़ देती है. शब्द सरल से
ही इस गज़ल के, इसलिए बोल आसानी से समझ
आ जाते हैं.

लगातार फ़िल्मी गीतों से बदहजमी न हो जाए इसलिए
बीच बीच में हम आपको गज़ल या गैर फ़िल्मी गीत
सुनवा दिया करते हैं जो पाचक चूर्ण सा काम करते
हैं.




गज़ल के बोल:


हमको किसके गम ने मारा, ये कहानी फिर सही
किसने तोड़ा दिल हमारा, ये कहानी फिर सही

दिल के लूटने का सबब पूछो न सबके सामने
नाम आएगा तुम्हारा, ये कहानी फिर सही

हमको किसके गम ने मारा, ये कहानी फिर सही

नफरतों के तीर खा कर, दोस्तों के शहर में
हमने किस किस को पुकारा, ये कहानी फिर सही

हमको किसके गम ने मारा, ये कहानी फिर सही

क्या बताएं प्यार की बाजी, वफ़ा की राह में
कौन जीता कौन हारा, ये कहानी फिर सही

हमको किसके गम ने मारा, ये कहानी फिर सही
किसने तोड़ा दिल हमारा, ये कहानी फिर सही
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Hamko kiske gham ne maara-Ghulam Ali Ghazal

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