Jun 22, 2015

बड़े अरमानों से रखा है बलम-मल्हार १९५१

क्या समय था साहब, लाजवाब था, गीत बनाने में बहुत
मेहनत की जाती, जो नतीजा निकलता वो शानदार होता.
हिंदी फिल्मों का सुनहरा दौर यूँ ही नहीं कहा जाता उस
समय को.

अक्सर आपको किसी गीत की एक पंक्ति ही याद रह जाती.
ऐसा ही कुछ वाकया सन १९५१ की फिल्म मल्हार के एक
गीत के साथ है. इसके अंतरे में एक पंक्ति है-मेरी नैया को
किनारे का इंतज़ार नहीं. अब ये याद रह गयी इत्तेफाक है,
मगर कई बार जीवन में कई नौकाएं किनारे पर नहीं लग
पाई. अब ऐसी लाइन पसंद आएगी तो और क्या होने वाला
है ?

मुफलिसी और फ़ाकाकशी में जिंदगी गुज़ारने से तो अच्छा होता
किसी बड़े उद्योगपति की लड़की से इश्क फ़रमाया होता, इस
गीत के सारे भाव जाग्रत हो जाते. कमबख्त अंतरे की दूसरी
लाईन याद नहीं हुई-तेरा आँचल है तो पतवार भी दरकार नहीं,
नहीं तो नैया क्या जहाज़ भी पार हो जाता और लग जाता
किनारे पे.

जीवन में हर एक बात का कोई मतलब ज़रूर होता है.
समय बलवान है और समय पर ही पता चल पाता है कि
क्या हुआ, कैसे हुआ और क्यूँ हुआ. जब ये कसरत हो जाती
है तब गीता का सार याद आता है.

अब रोमांटिक गीत के समय बेफजूल की फिलासफी झाडना
अच्छी बात नहीं है इसलिए हम चुपचाप ये गीत सुनेंगे जो
इन्दीवर साहब ने बड़ी तबियत से लिखा है और उतनी ही
कोम्पिटिटिव तबियत से रोशन साहब ने इसकी तर्ज़ बनायीं
है. गायको को आप पहचान ही जायेंगे. न पहचान पायें तो
टैग देख लें पोस्ट के.

गीत में अर्जुन और शम्मी आपको दिखलाई देंगे. अर्जुन साहब
का तो पता नहीं मगर शम्मी को आपने कई फिल्मों में चरित्र
भूमिकाएं निभाते देखा होगा.




गीत के बोल:

बड़े अरमानों से रखा है बलम तेरी कसम,
ओ बलम तेरी कसम
प्यार की दुनिया में ये पहला कदम,
हो पहला कदम
जुदा न कर सकेंगे हमको ज़माने के सितम
हो ज़माने के सितम
प्यार की दुनिया में ये पहला कदम
हो पहला कदम

ले उठा प्यार भी अंगडाई है, दिल भी जहां
अजी ऐसे में लिए जाते हो तुम बोलो कहाँ
दूर दुनिया की निगाहों से कहीं जायेंगे हम
प्यार की दुनिया में ये पहला कदम
हो पहला कदम

तेरी दो आँखों में दीखते हैं मुझको दोनों जहाँ
इन्हीं में खो गया दिल मेरा कहो ढूंढूं कहाँ
चंद घटता हो घटे अपनी मोहब्बत न हो कम
प्यार की दुनिया में ये पहला कदम
हो पहला कदम

मेरी नैया को किनारे का इंतज़ार नहीं
तेरा आँचल हो तो पतवार भी दरकार नहीं
तेरे होते हुए क्यूँ हो मुझे तूफ़ान का गम
प्यार की दुनिया में ये पहला कदम
हो पहला कदम
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Bade armanon se rakha hai-Malhar 1951

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