बिछुआ बने पिया तोरे नैन-पांच दुश्मन १९७३
संगीतकार बेहद लोकप्रिय हैं आज भी. ये गीत किस फिल्म
में कब आया आम जनता को मालूम नहीं. सिवा पंचम
भक्क्तों के, इसका विवरण शायद संगीत प्रेमियों के पास न
मिले आपको.
लोक गीत से स्वाद वाला ये गीत समय के हिसाब से थोड़ी
तेज गति वाला है. ताल ऐसी है कि नाच न जानने वाला भी
नाचने को मजबूर हो जाए.
ये मस्तमौला गीत है फिल्म पांच दुश्मन से जो सन १९७३ की
फिल्म है. इसे अरुणा ईरानी पर फिल्माया गया है. फिल्म का
नाम बाद में बदल कर दौलत के दुश्मन कर दिया गया था.
गीत के बोल मजरूह सुल्तानपुरी ने लिखे हैं.
फिल्म के निर्माता मनु नारंग हैं जिन्होंने फिल्म में अभिनय भी
किया है.
गीत के बोल:
आज जमा है कुञ्ज गली में सब गोकुल के प्राणी
बिछुआ बने पिया तोरे नैन
हमका दसे सारी सारी रैन
पिया डंक लागे हाय रे
बिछुआ बने पिया तोरे नैन
हमका दसे सारी सारी रैन
पिया डंक लागे हाय रे
तूने मोहे छुआ जब सैयां मैं समझी ठंडक पड़ेगी
तुझसे मिल के किसे थ मालूम के बेचैनी और बढ़ेगी
तूने मोहे छुआ जब सैयां मैं समझी ठंडक पड़ेगी
तुझसे मिल के किसे थ मालूम के बेचैनी और बढ़ेगी
हो ओ ओ, जागी तेरी लगन ऐसी तन में जैसे अगन जागी हाय रे
बिछुआ बने पिया तोरे नैन
हमका दसे सारी सारी रैन
पिया डंक लागे हाय रे
असी पापन अँधेरी रैना ना सूझे कोई सहारा आ हा
बन के सुई चुभे मेरे जी में जो टूटे कोई भी तारा
असी पापन अँधेरी रैना ना सूझे कोई सहारा आ हा
बन के सुई चुभे मेरे जी में जो टूटे कोई भी तारा
हां आ आ, आ जा बलम अब तेरे बिन जीना ज़हर लागे हाय रे
बिछुआ बने पिया तोरे नैन
हमका दसे सारी सारी रैन
पिया डंक लागे हाय रे
बिछुआ बने पिया तोरे नैन
हमका दसे सारी सारी रैन
पिया डंक लागे हाय रे
धड़क धड़क के तरसे जियरा तरसे और फिर तड़पे
धड़क धड़क के तरसे जियरा तरसे और फिर तड़पे
मुख से तारा आँचल गोरी अंगुल अंगुल सरके
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Bichhua bane piya tere nain-Paanch Dushman 1973

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