मन आनंद आनंद छायो-विजेता १९८२
ली गयी हैं समय समय पर, कभी कहानी की मांग के नाम
पर तो कभी फिल्म का आकर्षण बढ़ाने के लिए. काले पीले
(श्वेत-श्याम) युग की फिल्मों में शुरआती दौर में ये चलन
बहुत था. उसके बाद हर दशक में एक दो फिल्मों में आपको
शास्त्रीय गायकों और वादकों के क्लिप सुनाई देंगे.
रंगीन युग में पैर धरने के बाद सिनेमा थोडा उनसे विमुख
हुआ. लीक से हट कर संगीत देने वाले संगीतकार ज़रूर कभी
कभार संगीत प्रेमियों के तार झनझनाते रहे जैसे जयदेव.
आज आपको फिल्म विजेता, जो कि शशि कपूर, रेखा और
शशि कपूर पुत्र कुणाल अभिनीत फिल्म है, से एक उप-शास्त्रीय
गीत सुनवाते हैं जिसे सत्यशील देशपांडे संग आशा भोंसले ने
गाया है.
सत्यशील पंडित कुमार गन्धर्व के शिष्य हैं. वे उन कलाकारों
में से हैं जो आधुनिक युग के संपर्क माध्यमों जैसे फेसबुक,
ट्विटर इत्यादि से जुड़े हुए हैं. उनकी खुद की एक वेबसाईट
भी है.
गीत वसंत देव का लिखा हुआ है और इसका संगीत तैयार किया
है अजित वर्मन ने. अजित ने ज़्यादातर ऑफ-बीट फिल्मों में
ही संगीत दिया है.
समय चक्र ऐसा है कि :तन आनंद छायो” वाला युग है. ‘तन की
अग्नि’ और ‘तन की प्यास जैसे वाक्यांश’ शायद समय की मांग हैं.
ब्लॉग के आंकड़े देखने पर ऐसा ही कुछ मालूम पढता है. कई लोग
किसी पोर्न साईट की तलाश करते हुए इस ब्लॉग तक आ पहुँचते
हैं.
गीत के बोल:
मन आनन्द आनन्द छायो
मिट्यो गगन घन अंधकार
अँखियन में जब सूरज आयो
आयो आयो
मन आनन्द आनन्द छायो
छायो छायो
उठी किरण की लहर सुनहरी
उठी किरण की लहर सुनहरी
जैसे पावन गंगाजल
अर्पण के पल हर सिंगार मधु
गीत सिंदूरी गायो
मन आनन्द आनन्द छायो
मिट्यो गगन घन अंधकार
अँखियन में जब सूरज आयो
आयो आयो
मन आनन्द आनन्द छायो
छायो छायो
आनन्द आनन्द छायो
मन आनन्द आनन्द छायो
मानसरोवर मगन कम्पन
नभदर्पण की झांकी
ता में अबिकल अधखुल लोचन
प्राण हँस उतर आयो
मन आनन्द आनन्द छायो
..........................................................
Man anand anand chhayo-Vijeta 1982
0 comments:
Post a Comment