बड़ी धीरे जली-इश्किया २०१०
जो गुलज़ार का लिखा हुआ है. गुलज़ार ऑस्कर पुरस्कार
प्राप्त करने के बाद इंटरनैशनली सर्टिफाइड गीतकार हो गए
हैं. वो एक ऐसी कतार में शामिल हो गए हैं जिसमें पहुँच
पाना आम गीतकार के लिए संभव नहीं है. गुलज़ार की
खूबी रही है-वे लगातार सक्रिय रहे हैं.
आज फिल्म उद्योगमें दो व्यक्ति जवानों से भी ज्यादा सक्रिय
दिखाई देते हैंएक अमिताभ बच्चन तो दूसरे गुलज़ार.इनके
अलावा भीफिल्म उद्योग में कई शख्सियतें हैं जो अपनी बढती
उम्रके बावजूद जवानों से भी ज्यादा जोश और जूनून के साथ
काम करते हैं. समय समय पर उन शख्सियतों का जिक्र
हम करते रहेंगे अपने ब्लॉग पर.
इस गीत के बोल लाजवाब हैं. इसका मुखडा सुन कर के
पहले पहल एक मसखरे ने पूछा कहा था-बड़ी धीरे जली !
हमने भी उससे सारी इधर उधर की संभावनाओं को मन
में नकारते हुए वापस पूछा-क्या जली–बीडी ?
गीत में कुछ शब्द सामान्य चलन वाले नहीं हैं, आपको
शब्दकोष उठा कर देखना पढ़ सकता है समझने के लिए.
गीत रेखा भारद्वाज का गाया हुआ है और इसका संगीत
तैयार किया है विशाल भारद्वाज ने.
गीत के बोल:
बड़ी धीरे जली रैना, धुआं धुआं नैना
रातों से हौले हौले, खोली है किनारी
अँखियों ने तागा तागा भोर उतारी
खारी अँखियों से धुआं जाए ना
पलकों पे सपनों की अग्नि उठाये
हमने दो अँखियों के आलने जलाये
दर्द ने कभी लोरियां सुनाई तो
दर्द ने कभी नींद से जगाया रे
बैरी अँखियों से ना जाए धुआं जाए ना
बड़ी धीरे जली
जलते चरागों में अब नींद ना आये
फूंकों से हमने सब तारे बुझाए
जाने क्या खली रात की पिटारी से
खोले तो कोई भोर की किनारी रे
सूजी अँखियों से ना जाए धुआं जाए ना
बड़ी धीरे जली
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Badi dheere jail-Ishqiya 2010
Artist: Vidya Balan
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