आवारा भँवरे-सपने १९९७
तो कुछ संगीत, नृत्य की वजह से. अनूठे का एक मतलब है
अलग हट के. इस गीत के बोलों से भी ऐसा लगता है मानो
व्याकरण की किताब खोल के गीत लिखा गया हो. खैर ये
हमारा अनुमान है, हो सकता है अलंकारों वाला पाठ गीतकार
ने स्कूल में बहुत ध्यान लगा के पढ़ा हो.
मेरा अनुमान है गाय और बैल जबरन घंटी नहीं बजाते, वो
काम बकरी करती है. खुद बजने और बजाने का ये फर्क गीत
में खत्म हो सकता है. गीत में कुछ भी संभव है-एलुमिनियम
कॉपर में तब्दील हो सकता है बिना किसी रासायनिक क्रिया
के.
गीत पर्यावरण प्रेमी गीत है पिछले गीत की भांति और इसमें
झींगुर को भी याद कर लिया गया है. झींगुर, एक छोटा सा
प्राणी जो अपना पूरा दम लगा के जोर की आवाज़ निकालता
है. सन्नाटे को चीरने के लिए अकेली उसकी आवाज़ काफी है.
गीत के अंतिम शब्दों को सलाम करते हुए मेरा मन जो कुछ
झंकृत और कुछ अलंकृत सा हो गया है, कुछ कहना चाहता है-
यूरेका-यूरेका.
गीत गाया है हेमा सरदेसाई और मलेशिया वासुदेवन ने. गायक
वासुदेवन तमिल फिल्म उद्योग की जानी मानी हस्ती थे. उन्होंने
सभी प्रकार के गीत सफलतापूर्वक गाये हैं. उनका मलेशिया से
कनेक्शन था इसलिए नाम के साथ मलेशिया जुड़ा हुआ है.
गीत के बोल:
आवारा भँवरे जो हौले हौले गाएँ
फूलों के तन पे हवा ये सरसराये
कोयल की कुहू कुहू
पपीहे की पीहू पीहू
जंगल में झींगुर भी छाये जाये
नदियाँ में लहरें आयें
बलखायें छलकी जायें
भीगी होंठों से वो गुनगुनाएं
गाता है साहिल, गाता है बहता पानी
गाता है ये दिल सुन
सा रे गा मा पा धा नि सा रे
रात जो आये तो, सन्नाटा छाये तो
टिक-टिक करे घड़ी सुनो
दूर कहीं गुज़रे, रेल किसी पुल से
गूँजे धड़ाधड़ी सुनो
संगीत है ये, संगीत है
मन का संगीत सुनो
बाहों में ले के बच्चा, माँ जो कोई लोरी गाये
ममता का गीत सुनो
आवारा भँवरे जो हौले हौले गाएँ
फूलों के तन पे हवा ये सरसराये
कोयल की कुहू कुहू
पपीहे की पीहू पीहू
जंगल में झींगुर भी छाये जाये
भीगे परिन्दे जो, ख़ुद को सुखाने को
पर फड़फड़ाते हैं सुनो
गाय भी, बैल भी, गले में पड़ी घंटी
कैसे बजाते हैं सुनो
संगीत है ये, संगीत है
जीवन संगीत सुनो
बरखा रानी बूँदों की
पायल जो झनकाये
धरती का गीत सुनो
हिलको रे, हिलको रे
आवारा भँवरे जो हौले हौले गाएँ
फूलों के तन पे हवा ये सरसराये
कोयल की कुहू कुहू
पपीहे की पीहू पीहू
जंगल में झींगुर भी छाये जाये
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Awara Bhanwre-Sapnay 1997
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