कसम से कसम से ओ रब्बा-आई मिलन की रात १९९१
वो शब्द जो गीतों को लोकप्रियता प्रदान करते हैं. ऐसा एक
शब्द है-कसम. बहुत से ऐसे गीत हैं जो कसम शब्द से शुरू
हुए हैं और चर्चित हुए हैं –कसम क्या होती है, कसम वो
होती है जो तोड़ी न जाए-कसम, कसम न लो कोई हमसे-
बॉम्बे ४०५ माइल्स, कसम से कसम से हम आयेंगे-दुल्हन
हम ले जायेंगे वगैरह. इनमें से एक गीत आपको हाल ही
में सुनवाया है अनिल कपूर की फिल्म वाला.
गौर फरमाएं हम उन गीतों की बात कर रहे हैं जो इस शब्द
से शुरू होते हैं, आपके दिमाग में कई ऐसे गीत होंगे जिनके
मुखड़ों में ‘कसम’ शब्द आता है, उनपर चर्चा फिर कभी.
आइये सुनें अनुराधा पौडवाल और मोहम्मद अज़ीज़ का गाया
हुआ यह युगल गीत. आपको फिल्म आई मिलन की रात से
चार गीत पहले सुनवा चुके हैं और ये है इस ब्लॉग पर फिल्म
का पांचवा गीत. क्या किया जाए इस फिल्म के गाने सुपर
डुपर हिट जो हुए थे, अब हमारा फ़र्ज़ बनता है आपको ऐसे
हिट गीत सुनवाते रहा करें.
गीत के बोल:
कसम से कसम से ओ रब्बा कसम से
अब न जुदाई सही जाये हमसे
कसम से कसम से ओ रब्बा कसम से
अब न जुदाई सही जाये हमसे
कसम से कसम से
घुंघरू बनती है रुत ये सुहानी
काली घटा से बरसता है पानी
हम जल रहे हैं बिरहा के ग़म से
कसम से कसम से ओ रब्बा कसम से
अब न जुदाई सही जाये हमसे
चाँद सितारे हैं दूर कितने
हम पास रह के हैं दूर उतने
टूट गया है दिल ज़ुल्म-ओ-सितम से
कसम से कसम से ओ रब्बा कसम से
अब न जुदाई सही जाये हमसे
माथे की बिंदिया चमकती नहीं है
हाथों की चूड़ी खनकती नहीं है
मेंहदी निगोड़ी भी क्या रंग लाई
रात मिलन की बनी रे जुदाई
हम मिल न पाये अपने बलम से
कसम से कसम से ओ रब्बा कसम से
अब न जुदाई सही जाये हमसे
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Kasam se kasam se-Aayi milan ki raat 1991
2 comments:
ये वाला भी पॉपुलर था क्या ?
ज़रूर था. ब्लू लाइन, ऑटो रिक्शे, चाय की होटल
जैसी जगहों में बहुत बजा करता था
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