Nov 20, 2015

आज मिले मन के मीत-नवाब सिराज-उद-दौला १९६७

मदन मोहन ने मन्ना डे की आवाज़ का बहुत कम
इस्तेमाल किया. हर संगीतकार की अपनी पसंद होती
है इसलिए इस विषय पर टिप्पणी करना आसान काम
नहीं है. मन्ना डे के मदन मोहन के लिए गाये गीतों
में मुझे सबसे पहले हिंदुस्तान की कसम का गीत ही
याद आता है-इसका कारण भी है-सबसे पहले मैंने वही
सुना, देख कबीरा रोया के गीत बाद में सुने. ब्लॉग
लेखन में साफगोई हर किसी के बस की बात नहीं. ये
संभव ही नहीं है कि हर फिल्म का हर गीत कोई व्यक्ति
सुन ले. अगर गीतों की संख्या और समय की बात करें
तो एक जीवन कम पड़ेगा.

आज आपको एक नहीं के बराबर सुना हुआ एक गीत
सुनवाते हैं. ये है सन १९६७ की फिल्म नवाब सिराजुद्दौला
से जिसे राजा मेहँदी अली खान ने लिखा है.

फिल्म कब आई कब गयी फिल्म के बड़े शौकीनों को भी
नहीं मालूम. इसका वीडियो उपलब्ध है या नहीं ये भी बता
पाना मुश्किल है. गीत कर्णप्रिय है और गंभीर संगीत रसिक
इस बात पर अवश्य सहमत होंगे.



गीत के बोल:

आज मिले मन के मीत
घुँघरुओं की लय पे आज
नाचने लगी है प्रीत
आज मिले मन के मीत
आज मिले मन के मीत

चन्द्रमा सा गोरा बदन
झिलमिलाये जैसे किरण
चन्द्रमा सा गोरा बदन
झिलमिलाये जैसे किरण
चूम रहा उन के चरण
झूम-झूम के संगीत
आज मिले मन के मीत
आज मिले मन के मीत

उनकी प्रीत उनकी लगन
उनकी प्रीत उनकी लगन
लिपट गयी जैसे अगन
उनकी प्रीत उनकी लगन
लिपट गयी जैसे अगन
मन में मेरे आन बसे
जैसे बाँसुरी में गीत
आज मिले मन के मीत
आज मिले मन के मीत

अँखियाँ ये बन के चकोर
देखे हैं चन्दा की ओर
अँखियाँ ये बन के चकोर
देखे हैं चन्दा की ओर
सांवली सलोनी रैन
आज धीरे धीरे बीत
आज मिले मन के मीत
आज मिले मन के मीत
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Aaj mile man ke meet-Nawab Sirajuddaula 1967

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