Jan 7, 2016

आपके पहलू में आकर-मेरा साया १९६६

अगर लेखनी में साहिर का ‘अंदाज़-ए-बयां और’ माना जाता है तो
संगीत में मदन मोहन की भी बात अलग होती है. ऐसा फ़िल्मी
और कई गैर फ़िल्मी संगीत प्रेमियों का मानना है. निस्संदेह कई
धुनें मदन मोहन ने अलौकिक सी बनाई हैं.

आज आपको सुनवाते हैं एक लोकप्रिय दर्द भरा गीत सन १९९६
की फिल्म मेरा साया से. इसे रफ़ी ने गाया है. फिल्म में नायक
को अधिकतर आंसू बहाते देखा गया है. बड़े परदे पर जिन्होंने इस
फिल्म को देखा है उनका कहना है इस गीत के अवतरित होते ही
जनता आंसू बहाना शुरू कर दिया करती थी.



गीत के बोल:

आपके पहलू में आकर रो दिये
दास्तान-ए-ग़म सुनाकर रो दिये
आपके पहलू में आकर रो दिये

ज़िन्दगी ने कर दिया जब भी उदास
आ गये घबरा के हम मंज़िल के पास
सर झुकाया, सर झुकाकर रो दिये
आपके पहलू में आकर रो दिये

शाम जब आँसू बहाती आ गई
हर तरफ़ ग़म की उदासी छा गई
दीप यादों के जलाकर रो दिये
आपके पहलू में आकर रो दिये

ग़म जुदाई का सहा जाता नहीं
आपके बिन अब रहा जाता नहीं
प्यार में क्या-क्या गँवाकर रो दिये
दास्तान-ए-ग़म सुनाकर रो दिये

आपके पहलू में आकर रो दिये
दास्तान-ए-ग़म सुनाकर रो दिये
आपके पहलू में आकर रो दिये
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Aapke pehlu mein aa kar ro diye-Mera Saya 1966

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