Jan 8, 2016

निगाहें मिलाने को जी चाहता है-दिल ही तो है १९६३

एक नई फिल्म का नाम है-दिल तो बच्चा है जी. इस फिल्म का
नाम आते ही एक पुरानी फिल्म-दिल ही तो है याद आ जाती है.
किस चीज़ का कनेक्शन कहाँ जुड जाए कहा नहीं जा सकता. रोज
कुछ नए सिलसिले शुरू होते हैं, नए कथानक बनते हैं, नए सफर
तय होते हैं.

आइये आज सुनें अपने ज़माने की मशहूर कव्वाली जो सन १९६३
से निरंतर आनंदित करती चली आ रही है. इसे आप टाइमलेस
कह सकते हैं, क्यूंकि ये हर दशक में आनंदित करती आई है. ये
कव्वाली है या गीत, जो भी हो, बढ़िया सामान है सुनने के लिए.
आशा भोंसले के गाये उम्दा गीतों में इसकी गिनती की जाती है.
साहिर लुधियानवी साहब ने इसे तबियत से लिखा और उतनी ही
बढ़िया तबियत से इसकी धुन बनाई रोशन ने. राज कपूर और
नूतन इस फिल्म में प्रमुख कलाकार हैं.




गीत के बोल:

राज की बात है महफिल में  कहें या ना कहें
बस गया है कोई इस दिल में  कहें या ना कहें

निगाहें मिलाने को जी चाहता है
दिल-ओ-जां लुटाने को जी चाहता है

वो तोहमत जिसे इश्क कहती है दुनियाँ
वो तोहमत उठाने को जी चाहता है

किसी के मनाने में लज्जत वो पाई
के फिर रूठ जाने को जी चाहता है

वो जलवा जो ओझल भी है सामने भी
वो जलवा चुराने को जी चाहता है

जिस घड़ी मेरी निगाहों को तेरी दीद हुई
वो घड़ी मेरे लिए ऐश की तमहीद हुई
जब कभी मैंने तेरा चाँद सा चेहरा देखा
ईद हो या के ना हो, मेरे लिए ईद हुई
वो जलवा जो ओझल भी है सामने भी
वो जलवा चुराने को जी चाहता है

मुलाक़ात का कोई पैगाम दीजे के
छुप-छुप के आने को जी चाहता है
और आ के न जाने को जी चाहता है
निगाहें मिलाने को जी चाहता है
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Nigahen milane ko jee chahta hai-DIl hi to hai 1963

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