आदमी दीवाना है ऐतबार करता है-प्रेम तपस्या १९८३
फिल्म प्रेम तपस्या से. गीत के गायक हैं शब्बीर कुमार
जिनका कोई गीत सुने हमें अरसा हो गया है. शानदार
गीत है ये जिसके बोल लिखे हैं आनंद बक्षी साहब ने.
बक्षी जी ने जीवन दर्शन पर काफी सारे महत्वपूर्ण गीत
लिखे हैं उन पर विस्तार से किसी पोस्ट में चर्चा करेंगे.
गीत जीतेन्द्र और रेखा पर फिल्माया गया है. इस जोड़ी
ने कई हिट गीत दिए हैं ८० के दशक में. कई से मतलब
२००-३०० से नहीं है. थोड़े हैं मगर उनमें से अधिकतर
जनता की पसंद के हैं.
रोज इंसान सोता है तो उसे पता नहीं होता सुबह आँख
खुलेगी या नहीं फिर भी गुरूर करता है, झूठ बोलता है,
चोरी करता है.
गीत के बोल:
आदमी दीवाना है ऐतबार करता है
आदमी दीवाना है ऐतबार करता है
वक्त भी कभी किसी का इंतज़ार करता है
आदमी दीवाना है ऐतबार करता है
थोड़ी सी हकीकत है थोडा सा फ़साना है
और क्या है जिंदगी और क्या ज़माना है
और क्या है जिंदगी और क्या ज़माना है
आदमी दीवाना है दीवाना है
आदमी दीवाना है ऐतबार करता है
आँख खोली जी उठे बंद की तो मर गए
आँख खोली जी उठे बंद की तो मर गए
अच्छे बुरे सारे दिन एक दिन गुजर गये
एक सवारी आई थी एक सवारी जायेगी
ज़िंदगी जो लायी थी मौत ले के जायेगी
ज़िंदगी जो लायी थी मौत ले के जायेगी
आदमी दीवाना है दीवाना है
जीने के लिए खुशी तो बहुत ज़रूरी है
जीने के लिए खुशी तो बहुत ज़रूरी है
थोडा सा जो गम नहीं तो हर फुसी अधूरी है
एक दिन मर्ज़-ए-गम खुद मसीहा बन गया
दर्द इतना बढ़ गया के दर्द दवा बन गया
दर्द इतना बढ़ गया के दर्द दवा बन गया
आदमी दीवाना है दीवाना है
क्या जनाजा होता है क्या बारात होती है
क्या जनाजा होता है क्या बारात होती है
लोग जमा होते हैं एक ही बात होती है
पनघट से मरघट तक साथ मेला जायेगा
जो अकेला आया है आया है
जो अकेला आया है वो अकेला जायेगा
जो अकेला आया है वो अकेला जायेगा
जो अकेला आया है वो अकेला जायेगा
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Aadmi deewana hai-Prem tapasya 1983
Artists: Jeetendra, Rekha
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