जिंदगी की राहों में-कसम तेरी कसम १९९३
हर व्यक्ति अपने जीवन में स्वीकार करता है. ९० के दशक में
कई प्रतिभाओं और कई व्यक्तियों ने अपनी किस्मत बॉलीवुड
में आजमाई. कुछ ने खुद आजमाई तो कुछ के लिए दूसरों ने
पसीना बनाया.
किशन कुमार भी एक ऐसा नाम है जो २-३ फ़िल्में करने के
बाद फ़िल्मी दुनिया में दिखाई देना बंद हो गए. प्रस्तुत फिल्म
के गीत काफी चर्चित रहे हैं और उन्हीं में से एक आपको आज
सुनवा रहे हैं. ये सोनू निगम का गाया हुआ है. इस फिल्म का
निर्देशन रमन कुमार ने किया था.
गीत के बोल:
जिंदगी की राहों में रंज-ओ-गम के मेले हैं
जिंदगी की राहों में रंज-ओ-गम के मेले हैं
भीड़ है क़यामत की भीड़ है क़यामत की
और हम अकेले हैं औए हम अकेले हैं
जिंदगी की राहों में रंज-ओ-गम के मेले हैं
आईने के सौ टुकड़े करके हमने देखे हैं
एक में भी तनहा थे सौ में भी अकेले हैं
भीड़ है क़यामत की भीड़ है क़यामत की
और हम अकेले हैं औए हम अकेले हैं
जिंदगी की राहों में रंज-ओ-गम के मेले हैं
जब शबाब आया है आँख क्यूँ चुराते हो
बचपने में हम और तुम साथ साथ खेले हैं
भीड़ है क़यामत की भीड़ है क़यामत की
और हम अकेले हैं औए हम अकेले हैं
जिंदगी की राहों में रंज-ओ-गम के मेले हैं
गेसुओं के साये में हमने शब् गुज़ारी है
आपसे जुदा हो के आपसे जुदा हो के
आज तक अकेले हैं
भीड़ है क़यामत की भीड़ है क़यामत की
और हम अकेले हैं औए हम अकेले हैं
जिंदगी की राहों में रंज-ओ-गम के मेले हैं
और हम अकेले हैं औए हम अकेले हैं
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Zindagi ki rahon mein-Kasam teri kasam 1993
Artists: Kishan Kumar, Kunika
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