May 28, 2016

आदमी आदमी को क्या देगा-जगजीत सिंह गज़ल १९९०

अपच और बदहजमी से बचने का उपाय है बीच-बीच में लवण भास्कर
चूर्ण लेते रहें या कायम चूर्ण लेते रहें. ये कोई आयुर्वेदिक दवा सुझाने
वाली वेबसाईट नहीं अपितु एक गीत संगीत वाला ब्लॉग है. ये तो
जो फ़िल्मी गीत का ओवरडोज हो जाता है तब चेंज के लिए आपको
बीच में एक आध गज़ल या गैर फ़िल्मी गीत सुनवा दिया करते हैं.

आज सुनेंगे जगजीत सिंह की गई हुई और जीवन दर्शन पर  से संबद्ध
एक गज़ल जिसे सुदर्शन फाकिर ने लिखा है. इसका संगीत स्वयं
जगजीत सिंह ने तैयार किया है. सन १९९० के एल्बम-समवन समव्हेयर
में इसे पहली बार सुना गया था. मुन्सिफ शब्द का अर्थ है इन्साफ करने
वाला.




गज़ल के बोल:

आदमी आदमी को क्या देगा
जो भी देगा वहीं खुदा देगा

मेरा कातिल ही मेरा मुन्सिफ है
क्या मेरे हक़ में फैसला देगा

जिन्दगी को करीब से देखो
इसका चेहरा तुम्हें रुला देगा

हमसे पूछो दोस्ती का सिला
दुश्मनों का दिल हिला देगा

इश्क का जहर पी लिया फ़ाकिर
अब मसीहा भी क्या दवा देगा
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Aadmi aadmi ko kya dega-Jagjit Singh Gazal 1990

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