जय भारती वंदे भारती-जगदगुरु शंकराचार्य १९५५
रहेंगे आज बहुत दिनों के बाद फिर से एक अनजान
सा गीत सुनते हैं. इसका बहुत कुछ अनजान सा
नहीं है. फिल्म का नाम है जगदगुरु शंकराचार्य. ये
सन १९५५ की फिल्म है. आजादी के आठ साल बाद
की. फिल्म के निर्देशक शेख फत्तेलाल हैं और इसमें
संगीत है अविनाश व्यास का. गीत लिखे हैं भरत
व्यास ने. व्यास-व्यास का ये कॉम्बीनेशन कुछ गीतों
में है. फिल्म में अभि भट्टाचार्य और सुलोचना चटर्जी
प्रमुख कलाकार हैं. इसे गाया है लता मंगेशकर ने.
भारत की भूमि की इस गीत में भूरि भूरि प्रशंसा की
गई है. पौराणिक, ऐतिहासिक और धार्मिक फिल्मों के
संगीत क्षेत्र में दो मील के स्तंभ हैं-श्रीनाथ त्रिपाठी और
अविनाश व्यास.
गीत के बोल:
जय भारती वंदे भारती
सर पे हिमालय का छत्र है
चरणों में नदिया एकत्र है
हाथों में वेदों के पत्र हैं
देश नहीं ऐसा अन्यत्र है
सर पे हिमालय का छत्र है
चरणों में नदिया एकत्र है
हाथों में वेदों के पत्र हैं
देश नहीं ऐसा अन्यत्र है
जय भारती वंदे भारती
जय भारती वंदे भारती
धुंए से पवन से व्योम से
घर घर में होता जहाँ होम है
धुंए से पवन से व्योम से
घर घर में होता जहाँ होम है
पुलकित हमारे रोम रोम हैं
पुलकित हमारे रोम रोम हैं
आदि अनादि शब्द ओम है
जय भारती वंदे भारती
वंदे मातरम
जय भारती वंदे भारती
वंदे मातरम
जिस भूमि पे जनम लिया राम ने
गीता सुनाई जहाँ श्याम ने
गीता सुनाई जहाँ श्याम ने
पावन बनाया चारों धाम ने
पावन बनाया चारों धाम ने
स्वर्ग भी न आये जिस के सामने
वंदे मातरम
वंदे मातरम
वंदे मातरम
वंदे मातरम
...............................................................
Jai Bharti Vande Bharti-Jagadguru Shankaracharya 1955
0 comments:
Post a Comment