May 29, 2016

दिल ले गई ले गई-लाट साब १९६७

एक रोमांटिक गीत सुनिए रफ़ी की आवाज़ में. तारीफ़ की जा
रही है सादगी की, गौर फरमाएं पहले ही अंतरे में. अतिशयोक्ति
का प्रयोग नहीं है. क्वालिटी है लिरिक्स की, ऐसा हमने कभी
सुना था एक मजनू से जो अपनी लैला को शेर-ओ-शायरी भरे
खत लिखा करता था. उसकी भाषा पर पकड़ ज़बरदस्त थी और
शब्द ज्ञान भी विस्तृत. ऐसे दुर्लभ प्राणी हमें कम मिले जीवन
में. वैसे हसरत जयपुरी के लेखन के तो हम भी बड़े मुरीद हैं और
वो भी बरसों से.

गीत की धुन कुछ ऐसी है कि इसे गुनगुनाने के लिए साथ में
तबला सारंगी चाहिए. बिना सपोर्ट के इसे आप अच्छे से नहीं गा
सकते. कम-भक्तों ने ऐसी कई धुनें बनाई हैं जिनको गुनगुनाने
के लिए मुंह से म्युज़िक निकलना पढता है.

फिल्म लाट साब में इसे शम्मी कपूर गा रहे हैं परदे पर. इस
गीत का वीडियो उपलब्ध नहीं है ओह-ट्यूब पर. सुन कर ही
काम चला लें.




गीत के बोल:

दिल ले गई ले गई ले गई
एक चुलबुली चुलबुली नाज़नीन
दिल ले गई ले गई ले गई
एक चुलबुली चुलबुली नाज़नीन
मुखड़ा ऐसा है उस ज़ालिम का
हुस्न भरा है सारे आलम का
मुखड़ा ऐसा है उस ज़ालिम का
हुस्न भरा है सारे आलम का


दिल ले गई ले गई ले गई
एक चुलबुली चुलबुली नाज़नीन
दिल ले गई ले गई ले गई
एक चुलबुली चुलबुली नाज़नीन
मुखड़ा ऐसा है उस ज़ालिम का
हुस्न भरा है सारे आलम का
मुखड़ा ऐसा है उस ज़ालिम का
हुस्न भरा है सारे आलम का

उसके काजल बिना नैन काले
और काजल लगा ले तो क्या हो
उसके हाथों में सुर्ख़ी चमन की
और मेंहदी लगा ले तो क्या हो
उसके काजल बिना नैन काले
और काजल लगा ले तो क्या हो
उसके हाथों में सुर्ख़ी चमन की
और मेंहदी लगा ले तो क्या हो

दिल ले गई ले गई ले गई
एक चुलबुली चुलबुली नाज़नीन
दिल ले गई ले गई ले गई
एक चुलबुली चुलबुली नाज़नीन
मुखड़ा है ऐसा उस ज़ालिम का
हुस्न भरा है सारे आलम का
हाय, मुखड़ा है ऐसा उस ज़ालिम का
हुस्न भरा है सारे आलम का


जितना ग़ुस्सा करे वो हसीना
और निखरे है उसकी जवानी
रंग आता है गोरे बदन पर
जैसे चाँदी पे सोने का पानी
जितना ग़ुस्सा करे वो हसीना
और निखरे है उसकी जवानी
रंग आता है गोरे बदन पर
जैसे चाँदी पे सोने का पानी

दिल ले गई ले गई ले गई
एक चुलबुली चुलबुली नाज़नीन
दिल ले गई ले गई ले गई
एक चुलबुली चुलबुली नाज़नीन
मुखड़ा है ऐसा उस ज़ालिम का
हुस्न भरा है सारे आलम का
हाय, मुखड़ा है ऐसा उस ज़ालिम का
हुस्न भरा है सारे आलम का

कितनी नाज़ुक है वो छुई-मुई
अपने आँचल से ख़ुद दब रही है
एक चम्पा की मदहोश डाली
अपने फूलों से ख़ुद झुक रही है
कितनी नाज़ुक है वो छुई-मुई
अपने आँचल से ख़ुद दब रही है
एक चम्पा की मदहोश डाली
अपने फूलों से ख़ुद झुक रही है

दिल ले गई ले गई ले गई
एक चुलबुली चुलबुली नाज़नीन
दिल ले गई ले गई ले गई
एक चुलबुली चुलबुली नाज़नीन
मुखड़ा है ऐसा उस ज़ालिम का
हुस्न भरा है सारे आलम का
हाय, मुखड़ा है ऐसा उस ज़ालिम का
हुस्न भरा है सारे आलम का
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Dil le gayi le gayi-Laat Saab 1967

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