नैन लड़ जई हैं-गंगा जमुना १९६१
प्रचलन है. ये दस्तूर आज भी जारी है. पारंपरिक गीतों और
लोक गीतों के बिना फिल्म संगीत अधूरा लगता है. जब फिल्म
के कथानक ग्रामीण प्रष्ठभूमि के होते हैं तब तो इनका शामिल
होना बड़ी ज़रूरत नज़र आता है.
एक फ़िल्मी लोक गीत सुनते हैं फिल्म गंगा जमुना से जिसे
लिखा है शकील बदायूनी ने और गा रहे हैं मोहम्मद रफ़ी. इसके
संगीतकार हैं नौशाद. नौशाद ने कुछ पारंपरिक गीतों पर आधारित
गीत बनाये और एर काफी लोकप्रिय रहे. लोकप्रिय संगीत की
रचना वे अपने सांचे में ढाल के तैयार करते थे फिर भी जनता
उनके गीतों को हाथों-हाथ लेती थी.
गीत के बोल:
लागा गोरी गुजरिया से
नेहा हमार
होइ गवा सारा चौपट मोरा
रोजगार
नैन लड़ जई हैं तो मनवा मा कसक होइबे करी
प्रेम का छुटि है पटाखा तो धमक होइबे करी
नैन लड़ जई हैं तो मनवा मा कसक होइबे करी
रूप को मन मा बसईबा तो बुरा का होई है
तोहू से प्रीत लगईबा
तोहू से प्रीत लगईबा तो बुरा का होई है
प्रेम की नगरी मा कुछ हमरा भी हक़ होइबे करी
नैन लड़ जई हैं तो मनवा मा कसक होइबे करी
होई गवा मनमा मोरे तिरछी नजर का हल्ला
होई गवा मनमा मोरे तिरछी नजर का हल्ला
गोरी को देखे बिना निंदिया ना आवै हमका
फाँस लगी है तो करेजवा मा खटक होइबे करी
नैन लड़ जई हैं तो मनवा मा कसक होइबे करी
थैक थैक थै थै, थै
धा के तिनक धिन, ता के तिनक धिन,
धा के तिनक धिन, धा के तिनक धिन, धा
आँख मिल जई है सजनिया से तो नाचन लगिहे
आँख मिल जई है सजनिया से तो नाचन लगिहे
प्यार की मीठी गजल
प्यार की मीठी गजल मनवा भी गावन लगिहे
झाँझ बजी है तो कमरिया मा लचक होइबे करी
झाँझ बजी है तो कमरिया मा लचक होइबे करी
नैन लड़ जई हैं तो मनवा मा कसक होइबे करी
नैना जब लड़ी है तो भैया मन मा कसक होइबे करी
अरे नैना जब लड़ी है तो भैया मन मा कसक होइबे करी
मन ले गयी रे धोबनिया रामा कैसा जादू डार के
मन ले गयी रे धोबनिया रामा कैसा जादू डार के
कैसा जादू डार के रे, कैसा टोना मार के
मन ले गयी रे धोबनिया रामा कैसा जादू डार के
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Nain lad jai hain-Ganga Jamuna 1961
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