जाऊं कहाँ बता ऐ दिल-छोटी बहन १९५९
ब्लॉग शुरू किया था. उस समय बहुत से लोगों ने ऐसे विषयों
पर ब्लॉग शुरू किया था. कुछ तो काफी आगे निकल गए और
कुछ बीच राह में ब्लॉग जगत से जुदा हो गए. उसी तरह से
जिंदगी भी कई पड़ावों से गुजर गयी. बहुत से लोग छूट गए,
बहुत से बिछड़ गए, कुछ ने हमसे दूरी बना ली बचे हुए कुछ से
हमने दूरियां बढ़ा लीं. समय की मांग जैसी होती है वैसा ही
जीव करता है.
ब्लॉग शुरू करना सही रहा या नहीं ये तो वक्त ही बतलायेगा
मगर एक बात सही है कि समय खपाऊ काम है और ये हर
किसी के बस का रोग नहीं. आगे आने वाला समय हिंदी के
लिए अच्छा है इसलिए आशा की जा सकती है भविष्य सुनहरा
नहीं तो चांदिया अवश्य ही होगा.
हर व्यक्ति एक सार्थक उद्देश्य की आस में जीता है. अब ये कुछ
भी हो सकता है-१० किलो खाना, १० किलो ह..ना, १० बच्चे
पैदा करना, १० भैंस पालना, १० गाडियां खरीदना, १० फैक्ट्री
खोलना, १० मकान बनाना यैसा ही और कुछ. जीवन की जो
भी सार्थकता है वो इसी में है कि आप उपयोगी बने इस संसार
के लिए चाहे जिस रूप में हो. सुख बांटने में है न कि छीनने में
या चोरी करने में.
प्रस्तुत गीत है फिल्म छोटी बहन से जिसमें छोटी बहन हैं-नंदा,
भाई हैं रहमान और भाभी हैं श्यामा. गीत में जिस चांदनी का
जिक्र है वो श्यामा ही हैं. फिल्म एक बार ज़रूर देखें अगर आपने
ना देखी हो.
गीत के बोल:
जाऊँ कहाँ बता ऐ दिल
दुनिया बड़ी है संगदिल
चांदनी आई घर जलाने
सूझे ना कोई मंज़िल
जाऊँ कहाँ बता ऐ दिल
बन के टूटे यहाँ, आरज़ू के महल
ये ज़मीं, आसमाँ, भी गए हैं बदल
कहती है ज़िंदगी, इस जहाँ से निकल
जाऊँ कहाँ बता ऐ दिल
दुनिया बड़ी है संगदिल
चांदनी आई घर जलाने
सूझे ना कोई मंज़िल
जाऊँ कहाँ बता ऐ दिल
हाय इस पार तो, आँसुओं की डगर
जाने उस पार क्या, है किसे ये खबर
ठोकरें, खा रही, हर कदम पर नज़र
जाऊँ कहाँ बता ऐ दिल
दुनिया बड़ी है संगदिल
चांदनी आई घर जलाने
सूझे ना कोई मंज़िल
जाऊँ कहाँ बता ऐ दिल
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Jaaoon kahan bata ae dil-Chhoti Behan 1959
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