Jun 29, 2016

आ जा तुझको पुकारे मेरे गीत-गीत १९७०

आनंद बक्षी की एक उत्कृष्ट रचना सुनते हैं फिल्म गीत
से. इसका युगल संस्करण आप सुन चुके हैं पहले. ये
रफ़ी की आवाज़ में एकल गीत है जिसे परदे पर गा रहे
है राजेंद्र कुमार. फिल्म का नायक जैसा कि कहानी में
बताया गया है बांसुरी अच्छी बजाता है और गाता भी
अच्छा है जिससे नायिका मंत्रमुग्ध हो कर उसका गायन
वादन सुन रही है. फ़िल्मी अभिनेत्रियां फिल्मों में जिस
प्रकार इम्प्रेस हो जाती हैं वैसी संभावनाएं सामान्य जीवन
में कम ही देखने को मिलती हैं.





मेरे मितवा 
मेरे मितवा मेरे मीत रे, मीत रे 
आ जा तुझको पुकारें मेरे गीत रे 
मेरे गीत रे ओ मेरे मितवा 
मेरे मीत रे 
आ जा तुझको पुकारें मेरे गीत रे 
मेरे गीत रे ओ मेरे मितवा 

तरसेगी कब तक प्यासी नज़रिया
तरसेगी कब तक प्यासी नज़रिया
बरसेगी कब मेरे आँगन बदरिया
छोड़ के आजा तोड़ के आ जा 
दुनिया की हर रीत रे

आ जा तुझको पुकारें मेरे गीत रे 
मेरे गीत रे ओ मेरे मितवा 

नाम न जानूं तेरा देस न जानूं
नाम न जानूं तेरा देस न जानूं
कैसे मैं भेजूं सन्देस न जानूं
ये फूलों की ये झूलों की
रुत न जाये बीत रे

आ जा तुझको पुकारें मेरे गीत रे 
मेरे गीत रे ओ मेरे मितवा
..............................................................................
Aa ja tujhko pukare-Geet 1970



Artists-Mala Sinha, Rajendra Kumar

0 comments:

© Geetsangeet 2009-2020. Powered by Blogger

Back to TOP