चार दिन की चांदनी-दिल्लगी १९४९
आता है. ऐसा ही एक गीत है फिल्म दिल्लगी से सुरैया का गाया
हुआ. सुरैया के सबसे लोकप्रिय गीत हैं उनमें से एक है ये.
शकील बदायूनीं का लिखा हुआ गीत है जिसकी तर्ज़ नौशाद ने
बनाई है. फिल्म की कहानी का सार फिल्म के नाम में छुपा हुआ
है. अगर आपको मौका मिले इसे देखने का तो एक बार ज़रूर
इसे देखें. एक्टर-सिंगर, एक्ट्रेस-सिन्ग्रेस वगैरह का दौर ५० के
दशक के शुरू होते तक कम हो चला था.
कभी कभी किसी गीत की लाइन और धुन कुछ और गाने को
मजबूर कर देती है. इसमें ‘छूट’ को ‘छुट’ गाया गया है. ऐसे
मौके कम हैं गीतों में, मगर हैं ज़रूर.
गीत के बोल:
चार दिन की चांदनी थी फिर अँधेरी रात है
हम इधर हैं वो उधर हैं बेकसी का साथ है
चार दिन की चांदनी थी फिर अँधेरी रात है
हम इधर हैं वो उधर हैं बेकसी का साथ है
क्या खबर थी उनका दामन हाथ से छूट जायेगा
गम के हाथों जिंदगी का कारवां लुट जायेगा
दिल लगा कर गम उठायें क्या अनोखी बात है
चार दिन की चांदनी थी फिर अँधेरी रात है
हम इधर हैं वो उधर हैं बेकसी का साथ है
मिट रही है मेरी दुनिया और मैं देखा करूं
हाय ये मुश्किल के दिन कैसे बिताऊँ क्या करूं
दिल के मालिक लाज मेरी अब तुम्हारे हाथ है
चार दिन की चांदनी थी फिर अँधेरी रात है
हम इधर हैं वो उधर हैं बेकसी का साथ है
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Char din ki chandni-Dillagi 1949
Artist: Suraiya
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