बाग़ में कली खिली-चंदा और सूरज १९६५
चंदा और सूरज से जो सन १९६५ की फिल्म है. दुलाल गुहा
इस फिल्म के निर्देशक हैं. अशोक कुमार, निरुप रॉय, धर्मेन्द्र
और तनूजा की प्रमुख भूमिकाओं वाली इस फिल्म के गीत
शैलेन्द्र ने लिखे. शैलेन्द्र और सलिल की जोड़ी ने काफी मधुर
गीत दिए हैं संगीत रसिकों को आनंद देने के लिए.
गीत इस वजह से भी उल्लखनीय है कि इसका इन्स्ट्रुमेन्टल
आकाशवाणी वाले एक ज़माने में तबियत से बजाय करते थे.
आपको ब्रायन सिलास के प्यानो वर्ज़न का लिंक भी देते हैं,
उसे भी सुन लीजियेगा.
बिकिनी और स्विमिंग सूट वाले गीत भी हैं हिंदी फिल्म संगीत
खजाने में, ये उनमें से एक है. गीत फिल्माया गया है तनूजा
पर. गीत के अंत में आपको धर्मेन्द्र भी नज़र आयेंगे.
गीत के बोल:
बाग़ में कली खिली बगिया महकी
पर हाय रे अभी इधर भँवरा नहीं आया
राह में नज़र बिछी बहकी-बहकी
और बेवजह घड़ी घड़ी ये दिल घबराया
हाय रे क्यों न आया क्यों न आया क्यों न आया
बाग़ में कली खिली बगिया महकी
पर हाय रे अभी इधर भँवरा नहीं आया
राह में नज़र बिछी बहकी-बहकी
और बेवजह घड़ी घड़ी ये दिल घबराया
हाय रे क्यों न आया क्यों न आया क्यों न आया
बैठे हैं हम तो अरमाँ जगाये
बैठे हैं हम तो अरमाँ जगाये
सीने में लाखों तूफ़ान छुपाये
मत पूछ मन को कैसे मनाया
बाग़ में कली खिली बगिया महकी
पर हाय रे अभी इधर भँवरा नहीं आया
राह में नज़र बिछी बहकी-बहकी
और बेवजह घड़ी घड़ी ये दिल घबराया
हाय रे क्यों न आया क्यों न आया क्यों न आया
सपने जो आये तड़पा के जाये
सपने जो आये तड़पा के जाये
दिल की लगी को महका के जाये
मुश्किल से हम ने हर दिन बिताया
बाग़ में कली खिली बगिया महकी
पर हाय रे अभी इधर भँवरा नहीं आया
राह में नज़र बिछी बहकी-बहकी
और बेवजह घड़ी घड़ी ये दिल घबराया
हाय रे क्यों न आया क्यों न आया क्यों न आया
इक मीठी अग्नि में जलता है तन-मन
इक मीठी अग्नि में जलता है तन-मन
बात और बिगड़ी गरजा जो सावन
बचपन गँवा के मैंने सब कुछ गँवाया
बाग़ में कली खिली बगिया महकी
पर हाय रे अभी इधर भँवरा नहीं आया
राह में नज़र बिछी बहकी-बहकी
और बेवजह घड़ी घड़ी ये दिल घबराया
हाय रे क्यों न आया क्यों न आया क्यों न आया
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Baag mein kali khili-Chanda aur Suraj 1965
Artists: Tanuja, Dharmendra
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