जाने क्या सोचकर नहीं-किनारा १९७७
तो दुनिया आपसे नज़रें चुराती है. गीत में एक गूढ़ बात है कि
अपनी तन्हाई की शिकायत औरों से ना करें. हर जीव इस
दुनिया में अकेला है, सम्बन्ध तो बस भ्रम मात्र हैं. हाँ, कहने
को अगर आप अकेले हैं तो दुनिया में बहुत लोग हैं जिन्हें कि
अकेलापन खलता है.
गीत गुलज़ार का है जिसे किशोर कुमार ने गाया है. इस गीत
का संगीत तैयार किया है राहुल देव बर्मन ने.
गीत के बोल:
जाने क्या सोचकर नहीं गुज़रा
इक पल रात भर नहीं गुज़रा
जाने क्या सोचकर नहीं गुज़रा
इक पल रात भर नहीं गुज़रा
अपनी तनहाई का औरों से ना शिकवा करना
अपनी तनहाई का औरों से ना शिकवा करना
तुम अकेले ही नहीं हो सभी अकेले हैं
ये अकेला सफ़र नहीं गुज़रा
जाने क्या सोचकर नहीं गुज़रा
इक पल रात भर नहीं गुज़रा
दो घड़ी जीने की मोहलत तो मिली है सबको
दो घड़ी जीने की मोहलत तो मिली है सबको
तुम भी मिल जाओ घड़ी भर तो ये ग़म होता है
इस घड़ी का सफ़र नहीं गुज़रा
जाने क्या सोचकर नहीं गुज़रा
इक पल रात भर नहीं गुज़रा
जाने क्या सोचकर नहीं गुज़रा
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Jaane kya soch kar-Kinara 1977
Artists: Jeetendra, Hema Malini
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