Aug 1, 2016

ज़रा नज़रों से कह दो जी-बीस साल बाद १९६२

हेमंत कुमार के गीतों में कुछ अलग ही खुशबू हुआ
करती थी. उनके गाये रोमांटिक गीतों में से कुछ
बेहद लोकप्रिय हुए हैं. आज आपको ऐसा ही एक
गीत सुनवा रहे हैं. गुज़रे ज़माने के चोकलेटी हीरो
विश्वजीत पर फिल्माया गया ये गीत कैची धुन पर
बना हुआ है और आसानी से जुबान पर चढ जाता
है.

गीत शकील बदायूनीं ने लिखा है और इसकी धुन
स्वयं हेमंत कुमार ने बनाई है. हेमंत कुमार उन
प्रतिभाशाली संगीतकारों में से एक हैं जिनकी शान में
संगीत समीक्षकों ने कसीदे नहीं काढ़े. हेमंत कुमार
बिना इस बात की परवाह किये अपना काम करते रहे
और मधुर धुनों का सृजन करते रहे. हिंदी फिल्म
संगीत का इतिहास जब भी पढ़ा और सुना जायेगा,
उसमें फिल्म नागिन और बीस साल बाद का जिक्र
ज़रूर आयेगा.


गीत के बोल:


ज़रा नज़रों से कह दो जी निशाना चूक न जाए
ज़रा नज़रों से कह दो जी
मज़ा जब है तुम्हारी हर अदा क़ातिल ही कहलाए
ज़रा नज़रों से कह दो जी निशाना चूक न जाए
ज़रा नज़रों से कह दो जी

क़ातिल तुम्हे पुकारूँ के जान-ए-वफ़ा कहूँ
हैरत में पड़ गया हूँ के मैं तुम को क्या कहूँ

ज़माना है तुम्हारा
ज़माना है तुम्हारा चाहे जिसकी ज़िंदगी ले लो
अगर मेरा कहा मानो तो ऐसे खेल न खेलो
तुम्हारी इस शरारत से न जाने किस की मौत आए
ज़रा नज़रों से कह दो जी निशाना चूक न जाए
ज़रा नज़रों से कह दो जी

हाय, कितनी मासूम लग रही हो तुम
तुमको ज़ालिम कहे वो झूठा है

ये भोलापन तुम्हारा
ये भोलापन तुम्हारा ये शरारत और ये शोखी
ज़रूरत क्या तुम्हें तलवार की तीरों की खंजर की
ये भोलापन तुम्हारा ये शरारत और ये शोखी
ज़रूरत क्या तुम्हें तलवार की तीरों की खंजर की
नज़र भर के जिसे तुम देख लो वो खुद ही मर जाए

ज़रा नज़रों से कह दो जी निशाना चूक न जाए
ज़रा नज़रों से कह दो जी

हम पे क्यों इस क़दर बिगड़ती हो
छेड़ने वाले तुमको और भी हैं
बहारों पर करो गुस्सा उलझती हैं जो आँखों से
हवाओं पर करो गुस्सा जो टकराती हैं ज़ुल्फ़ों से
कहीं ऐसा न हो कोई तुम्हारा दिल भी ले जाए

ज़रा नज़रों से कह दो जी निशाना चूक न जाए
ज़रा नज़रों से कह दो जी
मज़ा जब है तुम्हारी हर अदा क़ातिल ही कहलाए
ज़रा नज़रों से कह दो जी
………………………………………..
Jara nazron se keh do ji-Bees saal baad 1962

Artists: Waheeda Rehman, Biswajeet

0 comments:

© Geetsangeet 2009-2020. Powered by Blogger

Back to TOP