ये बहारों का समां २-मिलाप १९५५
राज खोसला ने किया था. देव आनंद और गीता बाली इस
फिल्म के प्रमुख कलाकार हैं. राज खोसला की पदार्पण
फिल्म है बतौर निर्देशक. फिल्म मनोरंजन से भरपूर होने
के बावजूद बॉक्स ऑफिस पर पिट गयी. फिल्म का संगीत
भी उत्तम गुणवत्ता वाला है लेकिन नियति का खेल किसने
जाना है?
प्रस्तुत गीत का हेमंत कुमार वाला संस्करण आप सुन चुके
हैं पहले. आज का संस्करण लता मंगेशकर का गाया हुआ है.
बोल इसके भी साहिर लुधियानवी ने लिखे हैं और संगीत
है एन दत्ता का.
गीत के बोल:
ये बहारों का समां
चाँद तारों का समां
खो ना जाए आ भी जा
ये बहारों का समां
चाँद तारों का समां
खो ना जाए आ भी जा
ये बहारों का समा
जिन्दगानी दर्द बन जाए
कहीं ऐसा ना हो
जिन्दगानी दर्द बन जाए
कहीं ऐसा ना हो
सांस आहें सर्द बन जाये
कहीं ऐसा ना हो
दिल तड़प कर नागहाँ,
सो ना जाए आ भी जा
ये बहारों का समा
चाँद तारों का समा
खो ना जाये, आ भी जा
ये बहारों का समा
क्या हुआ क्यों इस तरह तूने,
निगाहें फेर ली
क्या हुआ क्यों इस तरह तूने,
निगाहें फेर ली
मेरी राहों की तरफ से,
अपनी राहें फेर ली
ज़िन्दगी का कारवां,
खो ना जाए आ भी जा
ये बहारों का समा
चाँद तारों का समा
खो ना जाये, आ भी जा
ये बहारों का समा
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Ye baharon ka sama(Lata)-Milap 1955
Artist:Geeta Bali
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