भूल जाएँ सारे गम-नौशेरवां-ए-आदिल १९५७
वो न्यायप्रिय शासक की कहानी है जिसे कठिनाइयों का सामना
करना पडता है. जैसा कि हर ऐसी कहानी में होता है सच्चे और
आदर्शवादी मार्ग पर चलने वालों से ऊपरवाला पापड बिलवा लेता
है तरह तरह के, वैसा ही इस फिल्म के कथानक में भी है.
आइये सुनें एक और मधुर गीत इस फिल्म से जो राजकुमार और
माला सिन्हा पर फिल्माया गया है. फिल्म का ये दूसरा लता-रफ़ी
युगल गीत है. इसे भी परवेज़ शम्सी ने लिखा है और धुन बनाने
वाले संगीतकार भी वही हैं-सी रामचंद्र.
गीत के बोल:
भूल जायें सारे ग़म डूब जायें प्यार में
बज रही है धुन यही रात के सितार में
भूल जायें सारे ग़म
हँस रहे है फूल जो गा रहा है गुलसितां
गा रहा है गुल जहां गा रहा है आसमां
तू ही तू है सदा
तू ही तू है सदा
लाख में हज़ार में
भूल जायें सारे ग़म डूब जायें प्यार में
बज रही है धुन यही रात के गिटार में
भूल जायें सारे ग़म
शर्म से जो है डरी आ नहीं रही हँसी
बेखुदी में बेखुदी कर रही है गुदगुदी
हम रहे करार में
हम रहे करार में
दिल न है करार में
भूल जायें सारे ग़म डूब जायें प्यार में
बज रही है धुन यही रात के गिटार में
भूल जायें सारे ग़म
इश्क़ में ज़रर नहीं कुछ हमें खतर नहीं
इश्क़ में ज़रर नहीं कुछ हमें खतर नहीं
बिजलियों से डर नहीं
बिजलियों से डर नहीं
जल ही जायें आशियाँ
जल ही जायें आशियाँ
हाँ मगर बहार में
भूल जायें सारे ग़म डूब जायें प्यार में
बज रही है धुन यही रात के गिटार में
भूल जायें सारे ग़म
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Bhhol jayen saare gham-Nausherwan-e-adil 1957
Artists-Mala Sinha, Raj Kumar
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