Aug 19, 2016

तुमसे कहूँ इक बात-दस्तक १९७०

फिल्म दस्तक के लिए मदन मोहन को राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त
हुआ था और साथ ही साथ एक गीत के लिए लता मंगेशकर
को भी. फिल्म का संगीत उछ कोटि का है.

मजरूह सुल्तानपुरी का लिखा हुआ और रफ़ी का गाया हुआ एक
खूबसूरत गीत सुनते हैं आज जिसमें अलग तरह की गायकी
है.

रोमांटिक गीत है जिसे प्रणय गीत भी कह सकते हैं. कलाकर
जिन पर इसे फिल्माया गया है संजीव कुमार, रेहाना सुल्तान.
गीत की उपमाएं ऐसी हैं मानो मजरूह साहब गुलज़ार को ध्यान
में रख कर गीत लिख रह हों. ऐसा इसलिए लिख रहा हूँ ताकि
गुलज़ार फैन वाह वाह कर सकें.



गीत के बोल:

तुमसे कहूँ इक बात परों से हलकी हलकी
रात मेरी है छाँव तुम्हारे ही आँचल की
तुमसे कहूँ इक बात परों से हलकी हलकी
हलकी हलकी हलकी

सोई गलियाँ बाँह पसारे आँखें मीचे
सोई गलियाँ बाँह पसारे आँखें मीचे
मैं दुनिया से दूर घनी पलकों के नीचे
देखूँ चलते ख़्वाब लकीरों पर काजल की
तुमसे कहूँ इक बात परों से हलकी हलकी
हलकी हलकी हलकी

धुंधली धुंधली रैन मिलन का बिस्तर जैसे
धुंधली धुंधली रैन मिलन का बिस्तर जैसे
खुलता छुपता चाँद सेज के ऊपर जैसे
चलती फिरती खाट हवाओं पर बादल की
तुमसे कहूँ इक बात परों से हलकी हलकी
हलकी हलकी हलकी

है भीगा सा जिस्म तुम्हारा इन हाथों में
है भीगा सा जिस्म तुम्हारा इन हाथों में
बाहर नींद भरा पंछी भीगी शाखों में
और बरखा की बूंद बदन से ढलकी ढलकी
तुमसे कहूँ इक बात परों से हलकी हलकी
हलकी हलकी हलकी
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Tumse kahoon ek baat-Dastak 1970

Artists: Sanjeev Kumar, Rehana Sultana

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