देख ली तेरी खुदाई-किनारे किनारे १९६३
फिल्म से जिसे न्याय शर्मा ने लिखा है और इसकी धुन बनाई
है जयदेव ने.
तलत महमूद के गाये ५० के दशक के गीत लाजवाब हैं. उसके
बाद के गीत भी बढ़िया हैं मगर जो बात ५० के दशक के गीतों
में है वो बाद वालों में नहीं उसकी वजह आवाज़ में बदलाव जो
सभी गायकों की आवाजों में होता है. किसी किसी की आवाज़ में
ज़ल्दी होता है तो किसी की आवाज़ में देर से थकावट के भाव
प्रकट होते हैं.
प्रस्तुत गीत ६० के दशक में तलत के द्वारा गाये बेहतर गीतों में
से एक है और ये काफी लोकप्रिय भी हुआ. इसे आज भी उतने
ही चाव से सुना जाता है.
गीत के बोल:
देख ली तेरी खुदाई
बस मेरा दिल भर गया
देख ली तेरी खुदाई
तेरी रहमत चुप रही
तेरी रहमत चुप रही
मैं रोते रोते मर गया
देख ली तेरी खुदाई
मेरे मालिक क्या कहूँ
तेरी दुआओं का फरेब
मेरे मालिक क्या कहूँ
तेरी दुआओं का फरेब
मुझपे यूँ छाया के मुझको
मुझपे यूँ छाया के मुझको
घर से बेघर कर गया
देख ली तेरी खुदाई
वो बहारें नाचती थी
झूमती थी बदलियाँ
वो बहारें नाचती थी
झूमती थी बदलियाँ
अपनी किस्मत याद आते
अपनी किस्मत याद आते
ही मेरा जी डर गया
देख ली तेरी खुदाई
बस मेरा दिल भर गया
देख ली तेरी खुदाई
तेरी रहमत चुप रही
तेरी रहमत चुप रही
मैं रोते रोते मर गया
देख ली तेरी खुदाई
……………………………………………………
Dekh li teri khudai-Kinare kinare 1963
0 comments:
Post a Comment