तेरा खयाल दिल से मिटाया नहीं-दोराहा १९५२
का मन करता है. एक तो आपने सुन लिया अब दूसरा भी लगे हाथ
सुन लीजिए.
ये गीत है फिल्म दोराहा से जो९ सन १९५२ की फिल्म है. रचना है
जोश मलीहाबादी की और संगीत अनिल बिश्वास का. ऐसे गीत सुनने
के लिए धैर्य चाहिए जो आज के समय में दुर्लभ है. इस गीत के
रसिक मुझे बहुत कम मिले लेकिन जितने भी मिले वो गंभीर किस्म
के संगीत प्रेमी हैं.
जोश मलीहाबादी ने अनिल बिश्वास के लिए शायद ये एक ही गीत
लिखा है, उस लिहाज से ये गीत दुर्लभ की श्रेणी में आता है.
गीत के बोल:
तेरा खयाल दिल से मिटाया नहीं अभी
बेदर्द मैंने तुझ को भुलाया नहीं अभी
तेरा खयाल दिल से मिटाया नहीं अभी
बेदर्द मैंने तुझ को भुलाया नहीं अभी
कल तूने मुस्कुरा के जलाया था खुद जिसे
जलाया था खुद जिसे
सीने का वो चराग़ बुझाया नहीं अभी
बेदर्द मैंने तुझ को भुलाया नहीं अभी
गर्दन को आज भी तेरी बाहों की याद है
बाहों की याद है
चौखट से तेरी सर को उठाया नहीं अभी
बेदर्द मैंने तुझ को भुलाया नहीं अभी
बेहोश हो के जल्द तुझे होश आ गया
तुझे होश आ गया
मैं बदनसीब होश में आया नहीं अभी
बेदर्द मैंने तुझ को भुलाया नहीं अभी
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Tera khayal dil se mitaya-Dorana 1952
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