आज कोई नहीं अपना-अग्निपरीक्षा १९८१
कठिन धुनें बनाईं. ८० के दशक में ये सिलसिला थोडा कम हुआ
क्यूंकि सलिल के संगीत वाली हिंदी फ़िल्में कम हो गईं. १९८१ की
एक फिल्म है अग्निपरीक्षा जिसमें परीक्षित साहनी, अमोल पालेकर
और रामेश्वरी प्रमुख कलाकार हैं.
आज अग्निपरीक्षा से योगेश का लिखा एक गीत सुनते हैं. इस फिल्म
का यही गीत सबसे ज्यादा लोकप्रिय है. इस गीत के इन्स्ट्रुमेन्टल
वर्ज़न भी उतने ही लोकप्रिय हैं. प्रस्तुत गीत का वीडियो दुर्लभ है.
गीत के बोल:
आज कोई नहीं अपना किसे ग़म ये सुनाएं
तड़प-तड़प कर यूँ ही घुट-घुट कर
दिल करता है मर जाएं
आज कोई नहीं अपना किसे ग़म ये सुनाएं
सुलग-सुलग कर दिन पिघले दिन पिघले
आँसुओं में भीगी-भीगी रात ढले
सुलग-सुलग कर दिन पिघले दिन पिघले
आँसुओं में भीगी-भीगी रात ढले
हर पल बिखरी तन्हाई में
यादों की शमा मेरे दिल में जले
तुम ही बतला दो हमें
हम क्या जतन करें ये शमा कैसे बुझाएं
आज कोई नहीं अपना किसे ग़म ये सुनाएं
न हमसफ़र कोई न कारवां न कारवां
ढूँढें कहाँ तेरे क़दमों के निशां
न हमसफ़र कोई न कारवां न कारवां
ढूँढें कहाँ तेरे क़दमों के निशां
जब से छूटा साथ हमारा
बन गई साँसें बोझ यहाँ
बिछड़ गए जो तुम
किस लिये माँगें हम फिर जीने की दुआएं
आज कोई नहीं अपना किसे ग़म ये सुनाएं
तड़प-तड़प कर यूँ ही घुट-घुट कर
दिल करता है मर जाएं
आज कोई नहीं अपना किसे ग़म ये सुनाएं
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Aaj koi nahin apna-Agnipariksha 1981
Artists: Rameshwari, Parikshit Sahni, Amol Palekar
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