जा जा जा मेरे बचपन-जंगली १९६१
सारे मधुर गीत हैं. ६० के दशक की शुरुआत में कुछ गिनती की
जो रंगीन फ़िल्में बनीं उनमें से एक है जंगली.
गीत शैलेन्द्र का लिखा हुआ है और इसे गाया है लता मंगेशकर ने.
संगीत तैयार किया है शंकर जयकिशन ने.
बचपन की याद पचपन की उम्र में बहुत आती है. बचपन जहाँ
केयरफ्री होता है वहीँ पचपन में आपको दूसरों की केयर करना
पढ़ती है.
गीत का भाव दूसरा है-बचपन के छुप जाने के लिए इच्छा ज़ाहिर
की जा रही है. ये फेनोमेना जवानी की दहलीज़ पर पैर रखने के
बाद होता है. नायिका हैं सायरा बानो.
गीत के बोल:
जा जा जा मेरे बचपन
कहीं जा के छुप नादां
जा जा जा मेरे बचपन
कहीं जा के छुप नादां
ये सफ़र है अब मुश्किल
आने को है तूफ़ाँ
जा जा जा मेरे बचपन
कहीं जा के छुप नादां
ज़िंदगी को नये रंग मिलने लगे
एक किरण छू गई फूल खिलने लगे
ज़िंदगी को नये रंग मिलने लगे
एक किरण छू गई फूल खिलने लगे
जा जा जा मेरे बचपन
कहीं जा के छुप नादां
ये सफ़र है अब मुश्किल
आने को है तूफ़ाँ
जा जा जा मेरे बचपन
कहीं जा के छुप नादां
एक कसक हर घड़ी दिल में रहने लगी
जो के तड़पा गई फिर भी अच्छी लगी
एक कसक हर घड़ी दिल में रहने लगी
जो के तड़पा गई फिर भी अच्छी लगी
जा जा जा मेरे बचपन
कहीं जा के छुप नादां
ये सफ़र है अब मुश्किल
आने को है तूफ़ाँ
जा जा जा मेरे बचपन
कहीं जा के छुप नादां
मेरा आँचल मेरे बस के बाहर हुआ
मुझको ले कर उड़ा आसमान छू लिया
मेरा आँचल मेरे बस के बाहर हुआ
मुझको ले कर उड़ा आसमान छू लिया
जा जा जा मेरे बचपन
कहीं जा के छुप नादां
ये सफ़र है अब मुश्किल
आने को है तूफ़ाँ
जा जा जा मेरे बचपन
कहीं जा के छुप नादां
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Ja ja ja mere bachpan-Junglee 1961
Artist: Saira Bano

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