हम तो हैं परदेस में-गैर फ़िल्मी गीत
बीच. फ़िल्मी और गैर फ़िल्मी गीतों ने बराबर की लोकप्रियता अर्जित
की है. यकीनन चिट्ठी आई है के पदार्पण के पहले तक शायद इसे
सबसे ज्यादा सुना जाता था.
डा. राही मासूम रज़ा का लिखा ये गीत जगजीत और चित्रा सिंह ने
गाया है और धुन भी जगजीत सिंह की है. प्रस्तुत वीडियो रॉयल
के लाइव प्रोग्राम का है.
गीत के बोल:
हम तो हैं परदेस में
हम तो हैं परदेस में देस में निकला होगा चांद
हम तो हैं परदेस में देस में निकला होगा चांद
अपनी रात की छत पे कितना तन्हा होगा चांद हो
हम तो हैं परदेस में देस में निकला होगा चांद
हम तो हैं परदेस में
चांद बिना हर दिन यूँ बीता जैसे युग बीतें हो
चांद बिना हर दिन यूँ बीता जैसे युग बीतें हो
मेरे बिना किस हाल में होगा
मेरे बिना किस हाल में होगा कैसा होगा चांद हो
हम तो हैं परदेस में देस में निकला होगा चांद
हम तो हैं परदेस में देस में निकला होगा चांद
रात ने ऐसा पेंच लगाया टूटी हाथ से डोर हो
रात ने ऐसा रात ने ऐसा
रात ने ऐसा पेंच लगाया टूटी हाथ से डोर
आँगन वाले नीम में जाकर
आँगन वाले नीम में जाकर अटका होगा चांद हो
हम तो हैं परदेस में देस में निकला होगा चांद
हम तो हैं परदेस में देस में निकला होगा चांद
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Ham to hain pardes mein-Non film song
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