लाखों तारे आसमान में-हरियाली और रास्ता १९६२
गीत सुनना अलौकिक अनुभव है विशेषकर नयी पीढ़ी के लिए. नयी
पीढ़ी आजकल के युग के संगीतकारों के गीत सुनती है मगर उसमें
से कई युवा ऐसे हैं जो पुराने गीतों की तरफ आकृष्ट हो जाते हैं.
एक युवा को मैंने जब ये गीत सुनते देखा तो आश्चर्य अवश्य हुआ.
कान में ईयरफोन लगाये वो हल्का सा झूम रहा था तो मुझे लगा
कि कोई नए बीट वाले संगीत पर वो संगीतमय कसरत कर रहा है
मगर जैसे ही उसने ईयरफोन का प्लग निकला मुझे ये गीत बजता
मिला.
इसे लिखा है शैलेन्द्र ने और धुन बनाई है शंकर जयकिशन ने. गीत
गा रहे हैं मुकेश और लता मंगेशकर.
गीत के बोल:
लाखों तारे आसमान में एक मगर ढूँढे ना मिला
देख के दुनिया की दीवाली दिल मेरा चुपचाप जला
दिल मेरा चुपचाप जला
लाखों तारे आसमान में एक मगर ढूँढे ना मिला
एक मगर ढूँढे ना मिला
क़िस्मत का है नाम मगर है काम ये दुनिया वालों का
फूँक दिया है चमन हमारे ख्वाबों और खयालों का
जी करता है खुद ही घोंट दें अपने अरमानों का गला
देख के दुनिया की दीवाली दिल मेरा चुपचाप जला
दिल मेरा चुपचाप जला
सौ-सौ सदियों से लम्बी ये ग़म की रात नहीं ढलती
इस अंधियारे के आगे अब ए दिल एक नहीं चलती
हंसते ही लुट गई चाँदनी और उठते ही चाँद ढला
देख के दुनिया की दीवाली दिल मेरा चुपचाप जला
दिल मेरा चुपचाप जला
मौत है बेहतर इस हालत से नाम है जिसका मजबूरी
कौन मुसाफ़िर तय कर पाया दिल से दिल की ये दूरी
कांटों ही कांटों से गुज़रा जो राही इस राह चला
देख के दुनिया की दीवाली दिल मेरा चुपचाप जला
दिल मेरा चुपचाप जला
लाखों तारे आसमान में एक मगर ढूँढे ना मिला
देख के दुनिया की दीवाली दिल मेरा चुपचाप जला
दिल मेरा चुपचाप जला
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Lakhon tare aasman mein-Hariyali aur rasta 1962
Artits: Manoj Kumar, Mala Sinha
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