हमको दुश्मन की निगाहों से-चित्रा सिंह गज़ल
फ्लेवर वाली गज़ल.
इसे लिखा है रईस अख्तर ने और धुन बनाई है जगजीत सिंह
ने. इसे एक्सटेसीज़ नामक एल्बम में रिलीज़ किया गया था.
लंबा समय किसी के साथ गुज़ार लेने के बाद उसपर भरोसा
हो जाना चाहिए और अगर धोखा भी मिले जो खूबसूरत हो
तो उसे गले लगा लें. ये प्रेम के मामले में तो ठीक है मगर
बाकी के केस में क्या करना चाहिए आप समझिए.
गज़ल में साउंड ओवेरलेप का सुन्दर प्रयोग है जो आम तौर
पर गज़लों में प्रयोग नहीं होता है.
गज़ल के बोल:
हमको दुश्मन की निगाहों से न देखा कीजे
हमको दुश्मन की निगाहों से न देखा कीजे
प्यार ही प्यार हैं हम
प्यार ही प्यार हैं हम हम पे भरोसा कीजे
हमको दुश्मन की निगाहों से न देखा कीजे
चंद यादों के सिवा हाथ न कुछ आयेगा
चंद यादों के सिवा हाथ न कुछ आयेगा
इस तरह उम्र-ए-गुरेज़ा का न पीछा कीजे
प्यार ही प्यार हैं हम
प्यार ही प्यार हैं हम हम पे भरोसा कीजे
हमको दुश्मन की निगाहों से न देखा कीजे
रौशनी औरों के आँगन में गवारा न सही
रौशनी औरों के आँगन में गवारा न सही
कम से कम अपने ही घर में तो उजाला कीजे
प्यार ही प्यार हैं हम
प्यार ही प्यार हैं हम हम पे भरोसा कीजे
हमको दुश्मन की निगाहों से न देखा कीजे
क्या ख़बर कब वो चले आयेंगे मिलने के लिये
क्या ख़बर कब वो चले आयेंगे मिलने के लिये
रोज़ पलकों पे नई शमाएँ जलाया कीजे
प्यार ही प्यार हैं हम
प्यार ही प्यार हैं हम हम पे भरोसा कीजे
हमको दुश्मन की निगाहों से न देखा कीजे
.............................................................
Hamko dushman ki nigahon se-Chitra Singh
0 comments:
Post a Comment