मुझे रात दिन ये ख्याल है-उम्र कैद १९६१
है फिल्म उम्र कैद से एक गीत. शेइख मुख्तार, सुधीर और
नाज़िमा फिल्म के प्रमुख कलाकार हैं और फिल्म का निर्देशन
अस्पी आज़ाद ने किया.
सुधीर फिल्मों में खलनायक और सहायक भूमिकाओं में ही
ज्यादा नज़र आये. उनके ऊपर फिल्माए गए लोकप्रिय गीतों
में से एक फिल्म मजबूर का गीत है. उसके अलावा आपने
उन्हें फिल्म बादशाह(शाहरुख वाली) में ज़रूर देखा होगा.
प्रस्तुत गीत उन्हीं के ऊपर फिल्माया गया है. इसे लिखा है
हसरत जयपुरी ने और धुन बनाई है इकबाल कुरैशी ने. गीत
में गीतकार का नाम आता है आखिरी अंतरे में.
गीत के बोल:
मुझे रात दिन ये ख्याल है
मुझे रात दिन ये ख्याल है
वो नज़र से मुझको गिरा ना दें
मेरी जिंदगी का दिया कहीं
मेरी जिंदगी का दिया कहीं
ये ग़मों की आंधी बुझा ना दे
मुझे रात दिन ये ख्याल है
मेरे दिल के दाग न जल उठें
मेरे दिल के दाग
मेरे दिल के दाग न जल उठें
कहीं मेरे सीने की आग से
कहीं मेरे सीने की आग से
ये घुटी घुटी मेरी आह भी
ये घुटी घुटी मेरी आह भी
कहीं होश मेरे गंवा ना दे
मुझे रात दिन ये ख्याल है
किसे अपना हाल सुनाऊं मैं
किसे अपना हाल
किसे अपना हाल सुनाऊं मैं
मेरा दिल भी गैर का हो चुका
मेरा दिल भी गैर का हो चुका
बड़ी उलझनों में घिरा हूँ मैं
बड़ी उलझनों में घिरा हूँ मैं
के फ़साना कोई बना ना दे
मुझे रात दिन ये ख्याल है
मैं दिया हूँ ऐसा जहां में
मैं दिया हूँ ऐसा
मैं दिया हूँ ऐसा जहां में
के जला तो हूँ नहीं रौशनी
के जला तो हूँ नहीं रौशनी
जो जिगर में है वो खलिश कहीं
जो जिगर में है वो खलिश कहीं
मेरी हसरतों को मिटा ना दे
मुझे रात दिन ये ख्याल है
मुझे रात दिन ये ख्याल है
वो नज़र से मुझको गिरा ना दें
मुझे रात दिन ये ख्याल है
वो नज़र से मुझको गिरा ना दें
मुझे रात दिन ये ख्याल है
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Mujhe raat din ye khayal-Umar Qaid 1961
Artist: Sudhir, Nazima
1 comments:
बहुत बढ़िया
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