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Aug 19, 2018

तेरा अहदे जवानी-सौतेला पति १९८५

पहले मुझे लगता था सौतेला, सौतन वगैरह शब्दों से केवल
सावन कुमार फ़िल्में बनाया करते हैं. सावन कुमार बेवफा
शब्द की ओर मुड़े तो अन्य फिल्मकार भी उनके क्षेत्र में
आ गए और सौतेले शब्द का प्रयोग करने लगे.

१९८५ की फिल्म सौतेला पति इसका अच्छा एग्जाम्फल
है. ये बात तो और है ही कि फिल्म हिट कराने की कला
सावन कुमार के पास है. सौतेला पति फिल्म के निर्देशक
हैं बी आर इशारा जो फिल्मों के अलग ट्रीटमेंट के लिए
फेमस रहे.

फिल्म से गुलशन बावरा का लिखा हुआ एक गीत सुनते
हैं जिसे मोहम्मद अज़ीज़ ने गाया है. अच्छा गीत है.

पिछले गीत में कमर और चाँद का कनेक्शन था इसमें
कमर आकाशगंगा हो गई. ये कमर के पीछे क्यूँ पड़ी
ही है जनता?

फिल्म में दो हेल्दी हीरोईनें हैं-आशा सचदेव और खुशबू.



गीत के बोल:

संभल कर पाँव रखना
आग लग जाये न पानी में
ये दरिया डूब जाये
चाल गर देखे रवानी में
घिरे घन घोर बादल
मोती मोती हो बिखर जायें
घिरे घन घोर बादल
मोती मोती हो बिखर जायें

अगर गेसू निचोडें
खा के बल जोशे जवानी में

तेरा अहदे जवानी जाने जानी
तेरा अहदे जवानी जाने जानी
हम पे भारी हैं हम पे भारी हैं
तुझे आसान हैं जीना मगर
तुझे आसान हैं जीना मगर
मुश्किल हमारी हैं
मुश्किल हमारी हैं
ओ तेरा अहदे जवानी जाने जानी
तेरा अहदे जवानी जाने जानी
हम पे भारी हैं हम पे भारी हैं

तेरा जोबन तो दिल ले गया
तेरी अंगड़ाई जां ले गई
हो तेरा जोबन तो दिल ले गया
तेरी अंगड़ाई जां ले गई
तेरी अंगड़ाई जां ले गई
चैन खो के कहो क्या कहें
ओ चैन खो के कहो क्या कहें
अब किसकी बारी हैं

हो अब किसकी बारी हैं

तेरा अहदे जवानी जाने जानी
हम पे भारी हैं

तेरे आँचल में सुबह हैं
कमर आकाश गंगा हैं
हो तेरे आँचल में सुबह हैं
कमर आकाश गंगा हैं
कमर आकाश गंगा हैं
ये दिन हमपे न निकला कभी
ये दिन हमपे न निकला कभी
किस्मत हमारी हैं
किस्मत हमारी हैं

तेरा अहदे जवानी जाने जानी
हम पे भारी हैं

चाल ने हमसे चालें चली
जाल वालो ने फैला दिया
चाल ने हमसे चालें चली
जाल वालो ने फैला दिया
जाल वालो ने फैला दिया
फँस गया दिल का पंछी मेरा
फँस गया दिल का पंछी मेरा
बाज़ी ये हारी हैं
हाय बाज़ी ये हारी हैं

हो तेरा अहदे जवानी जाने जानी
तेरा अहदे जवानी जाने जानी
हम पे भारी हैं
हम पे भारी हैं
तुझे आसान हैं जीना मगर
तुझे आसान हैं जीना मगर
मुश्किल हमारी हैं
मुश्किल हमारी हैं
तेरा अहदे जवानी जाने जानी
हम पे भारी हैं
…………………………………………………………
Tera ahde jawani-Sautela pati 1985

Artist:

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Jun 14, 2018

तुम हम से मिले जब से-सौतेला पति 1985

सौतेला सीरीज़ के तहत फिल्म सौतेला पति से एक गीत
सुनते हैं. ये सन १९८५ के फिल्म है. बी आर इशारा इस
फिल्म के निर्देशक हैं.

फिल्म में राज किरण, खुशबू, नवीन निश्चल, मजहर खान,
मदन पुरी और गुलशन ग्रोवर जैसे कलाकार हैं. इस गीत
को लिखा है भूषण बनमाली से और धुन तैयार की है
इक़बाल कुरैशी ने. आशा भोंसले संग इसे किशोर कुमार ने
गाया है. इसे किशोर भक्त रेयर सोंग कहा करते हैं. किसी
समय इसे सुन पाना वाकई रेयर एक्टिविटी होती थी.
बेचारे चाँद को यहाँ कमर से जोड़ा गया है.



गीत के बोल:

तुम हम से मिले जब से
तुम हम से मिले जब से
हम दूर हुये सबसे
तुम ऐसे न थे पहले
तुम ऐसे न थे पहले
ये हाल हुआ कब से
तुम हम से मिले जब से

फूल सी हसीं नज़र हाय चाँद सी कमर
फूल सी हसीं नज़र हाय चाँद सी कमर
एक बार देख कर रही न अपनी कुछ खबर
दीवाने हैं हम दीवाने हैं हम तबसे
तुम ऐसे न दी पहले
तुम ऐसे न दी पहले

यार मेहरबान हैं हर फ़िज़ा जवान हैं
यार मेहरबान हैं हर फ़िज़ा जवान हैं
हम जहां हैं वो ज़मीं आज आसमान हैं

माँगा हैं तुम्हे माँगा हैं तुम्हे रब से
तुम हम से मिले जब से
तुम हम से मिले जब से

एक ही ख्याल हैं हर नज़र सवाल हैं
एक ही ख्याल हैं हर नज़र सवाल हैं
जो तुम्हारा हाल हैं वही अपना हाल हैं
जो तुम्हारा हाल हैं वही अपना हाल हैं
होंगे न जुदा होंगे न जुदा अब से

तुम हम से मिले जब से
तुम हम से मिले जब से
हम दूर हुए सब से

तुम हम से मिले जब से
तुम हम से मिले जब से
.............................................................
Tum hanse mile jab se-Sautela pati 1985

Artists:

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Jul 31, 2017

मैं अपने आप से घबरा गया हूँ-बिंदिया १९६०

आज मोहम्मद रफ़ी को संगीत प्रेमियों से दूर गए ३७ बरस बीत
चुके हैं. रफ़ी को याद करते हुए उनका एक बेहतरीन नगमा सुनते
हैं फिल्म बिंदिया से. १९६० की फिल्म बिंदिया में इकबाल कुरैशी
का संगीत है.

इंसानी रिश्तों और भावनाओं पर मजबूत पकड़ वाले राजेंद्र कृष्ण ने
इस गीत के बोल लिखे हैं. एक रचनाकार का संवेदनशील होना बेहद
ज़रूरी है. ये एक ऐसा गुण है जो बहुत कम लोगों में पाया जाता
है. इसी गुण के चलते कई लोग बच्चों के अच्छे डॉक्टर, समाजसेवी,
विचारक और पर्यावरण प्रेमी बन जाते हैं. और भी कई पेशे हैं जहाँ
इस गुण से काफी मदद मिलती है, एक अच्छा एक्टर बनने के
लिए भी. रफ़ी की दरियादिली की तो खैर मिसालें पेश की जाती हैं.

ये गीत अपार दुःख के क्षणों में आपको अपने आप से जोड़ लेता है.
इस दौर से जो भी गुज़रा है उसको मन हल्का करने में इस गीत की
मदद भी मिली है.




गीत के बोल:

मैं अपने आप से घबरा गया हूँ
मुझे ऐ ज़िंदगी दीवाना कर दे
मुझे ऐ ज़िंदगी दीवाना कर दे
मैं अपने आप से घबरा गया हूँ घबरा गया हूँ
मैं अपने आप से घबरा गया हूँ
मुझे ऐ ज़िंदगी दीवाना कर दे
मुझे ऐ ज़िंदगी दीवाना कर दे

कहाँ से ये फ़रेब-ए-आरज़ू मुझको कहाँ लाया
जिसे मैं पूजता था आज तक निकला वो इक साया
ख़ता दिल की है मैं शरमा गया हूँ

मैं अपने आप से घबरा गया हूँ
मुझे ऐ ज़िंदगी दीवाना कर दे
मुझे ऐ ज़िंदगी दीवाना कर दे

बड़े ही शौक़ से इक ख़्वाब में खोया हुआ था मैं
अजब मस्ती भरी इक नींद में सोया हुआ था मैं
खुली जब आँख तो थर्रा गया हूँ थर्रा गया हूँ

मैं अपने आप से घबरा गया हूँ
मुझे ऐ ज़िंदगी दीवाना कर दे
मुझे ऐ ज़िंदगी दीवाना कर दे
.................................................................
Main apne aap se ghabra gaya hoon-Bindiya 1960

Artists: Balraj Sahni, Padmini

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May 28, 2017

आ गए मोरे पिया-नवेली १९५२

हर चीज़ जब नयी नयी आती है तब जनता उसे नयी नवेली
कहती है. नवेली शब्द अक्सर नयी नवेली दुल्हन के साथ ही
प्रयुक्त होता है. अंग्रेजी के शब्द नॉवेल और नवेली के बीच कुछ
कनेक्शन सा है.

गीत सुनते हैं सन १९५२ की फिल्म नवेली से जिसे नजीर जाफरी
ने लिखा और इकबाल कुरैशी ने स्वरबद्ध किया. मुनव्वर सुल्ताना
ने इसे गाया है.

एक डिक्लेरेशन सोंग जैसा कुछ है जिसमें बताया जा रहा है कि
पिया आ गए, मानो ये नहीं बताया जाता तो जनता को पता
चलता ही नहीं.



गीत के बोल:

आ गये मोरे पिया
नाच रहा है मोरा जिया
प्यार ने दिल ले लिया
जीने न दिया
हाय लूट लिया
आ गये मोरे पिया
नाच रहा है मोरा जिया
प्यार ने दिल ले लिया
जीने न दिया
हाय लूट लिया

आ गये मोरे पिया

आ गई हैं काली रातें काली रातें
झूम रही हैं बरसातें बरसातें
आ गई हैं काली रातें काली रातें
झूम रही हैं बरसातें बरसातें
भोलेपन की बातें याद आयें पिया
हाय लूट लिया
भोलेपन की बातें याद आयें पिया
हाय लूट लिया

जान लगी घबराने
प्यार लगा पछताने
कौन हमारा ग़म जाने
याद ना तूने किया
हाय लूट लिया

आ गये मोरे पिया
……………………………………………..
Aa gaye more piya-Naveli 1952

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Nov 17, 2016

वो हम ना थे-चा चा चा १९६४

आप फिल्म चा चा चा से एक बेहतरीन गीत सुन चुके हैं रफ़ी की
आवाज़ में नीरज का लिखा हुआ. आज इसी फिल्म से एक और उम्दा
गीत सुनते हैं ये भी नीरज का लिखा हुआ और रफ़ी का गाया हुआ
है.

गीत फिल्माया गया है चंद्रशेखर पर और इस गीत के संगीतकार हैं
इकबाल कुरैशी. गीत में आप साडी पहने एक घरेलू लड़की सी दिखाई
दे रही हेलन को भी देख्नेग जो फिल्म की नायिका हैं.



गीत के बोल:

वो हम ना थे वो तुम ना थे
वो हम ना थे वो तुम ना थे,
वो रहगुज़र थी प्यार की
लुटी जहाँ पे बेवजह पालकी बहार की
पालकी बहार की
वो हम ना थे वो तुम ना थे

ये खेल था नसीब का
ये खेल था नसीब का ना हंस सके ना रो सके
ना टूर पर पहुँच सके ना द्वार पर ही सो सके
कहानी किससे ये कहें
कहानी किससे ये कहें चढाव की उतार की
लुटी जहाँ पे बेवजह पालकी बहार की
पालकी बहार की
वो हम ना थे वो तुम ना थे

तुम्हीं थे मेरे रहनुमा तुम्हीं थे मेरे हमसफ़र
तुम्हीं थे मेरी रौशनी तुम्हीं ने मुझको दी नज़र
दी नज़र
बिना तुम्हारे जिंदगी
बिना तुम्हारे जिंदगी शमा है एक मज़ार की
लुटी जहाँ पे बेवजह पालकी बहार की
पालकी बहार की
वो हम ना थे वो तुम ना थे

ये कौन सा मुकाम है
ये कौन सा मुकाम है फलक नहीं ज़मीन है
के शब् नहीं सहर नहीं के गम नहीं खुशी नहीं
कहाँ ये ले के आ गई
कहाँ ये ले के आ गई हवा तेरे दयार की
लुटी जहाँ पे बेवजह पालकी बहार की
पालकी बहार की
वो हम ना थे वो तुम ना थे

गुजर रही है तुमपे क्या बना के हमको दर बदर
ये सोच कर उदास हूँ ये सोच कर है चश्म तर
चश्म तर
ना चोट है ये फूल की
ना चोट है ये फूल की न है खलिश ये खार की
लुटी जहाँ पे बेवजह पालकी बहार की
पालकी बहार की
पालकी बहार की
पालकी बहार की
.............................................................................................
Wo ham na the-Cha cha cha 1964

Artists: Chandrashekhar, Helen

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Nov 15, 2016

मुझे रात दिन ये ख्याल है-उम्र कैद १९६१

गुमनाम फ़िल्में और लोकप्रिय गीतों की श्रृंखला में आज पेश
है फिल्म उम्र कैद से एक गीत. शेइख मुख्तार, सुधीर और
नाज़िमा फिल्म के प्रमुख कलाकार हैं और फिल्म का निर्देशन
अस्पी आज़ाद ने किया.

सुधीर फिल्मों में खलनायक और सहायक भूमिकाओं में ही
ज्यादा नज़र आये. उनके ऊपर फिल्माए गए लोकप्रिय गीतों
में से एक फिल्म मजबूर का गीत है. उसके अलावा आपने
उन्हें फिल्म बादशाह(शाहरुख वाली) में ज़रूर देखा होगा.

प्रस्तुत गीत उन्हीं के ऊपर फिल्माया गया है. इसे लिखा है
हसरत जयपुरी ने और धुन बनाई है इकबाल कुरैशी ने. गीत
में गीतकार का नाम आता है आखिरी अंतरे में.



गीत के बोल:

मुझे रात दिन ये ख्याल है
मुझे रात दिन ये ख्याल है
वो नज़र से मुझको गिरा ना दें
मेरी जिंदगी का दिया कहीं
मेरी जिंदगी का दिया कहीं
ये ग़मों की आंधी बुझा ना दे
मुझे रात दिन ये ख्याल है

मेरे दिल के दाग न जल उठें
मेरे दिल के दाग
मेरे दिल के दाग न जल उठें
कहीं मेरे सीने की आग से
कहीं मेरे सीने की आग से
ये घुटी घुटी मेरी आह भी
ये घुटी घुटी मेरी आह भी
कहीं होश मेरे गंवा ना दे
मुझे रात दिन ये ख्याल है

किसे अपना हाल सुनाऊं मैं
किसे अपना हाल
किसे अपना हाल सुनाऊं मैं
मेरा दिल भी गैर का हो चुका
मेरा दिल भी गैर का हो चुका
बड़ी उलझनों में घिरा हूँ मैं
बड़ी उलझनों में घिरा हूँ मैं
के फ़साना कोई बना ना दे
मुझे रात दिन ये ख्याल है

मैं दिया हूँ ऐसा जहां में
मैं दिया हूँ ऐसा
मैं दिया हूँ ऐसा जहां में
के जला तो हूँ नहीं रौशनी
के जला तो हूँ नहीं रौशनी
जो जिगर में है वो खलिश कहीं
जो जिगर में है वो खलिश कहीं
मेरी हसरतों को मिटा ना दे
मुझे रात दिन ये ख्याल है
मुझे रात दिन ये ख्याल है
वो नज़र से मुझको गिरा ना दें
मुझे रात दिन ये ख्याल है
वो नज़र से मुझको गिरा ना दें
मुझे रात दिन ये ख्याल है
.................................................................
Mujhe raat din ye khayal-Umar Qaid 1961

Artist: Sudhir, Nazima

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Jun 24, 2011

लोग कहते हैं तो सच ही-ये दिल किसको दूं १९६३

आपको एक माउथ ओर्गनिया और उछलकूदियाना गीत
सुनवाते हैं। जिस गीत की शुरुआत ऐसी उछल कूद से होती
है उसके लिए कोई उपयुक्त श्रेणी मुझे समझ नहीं आती। माउथ
ओरगन अर्थात मुंह से बजाय जाने वाला बाजा। मुंह से वैसे
तो कई चीज़ें बजायी जाती हैं और बजायी जा सकती हैं मगर
सबसे सोबर किस्म का नाम इसी बाजे का है जिसको माउथ
ओरगन कहा जाता है।

गाँव देहात में कभी इस बाजे के लिए एक शब्द भी सुना था
मैंने-विलायती पुंगी। तो आइये इस विलायती पुंगी की आवाज़
का आनंद उठाया जाये। फिल्म का शीषक गीत कह सकते हैं
आप से क्यूंकि फिल्म के नाम के उच्चारण से ही ये गीत
शुरू हो रहा है। गीत तेज़ गति वाला है और याहू-चाहे कोई
मुझे जंगली कहे की याद दिलाता है। उस गीत में शम्मी हैं
तो इस गीत में शशि।



गीत के बोल:

ये दिल किसको दूं
ये दिल किसको दूं
लोग कहते हैं कोई सच ही कहते होंगे
लोग कहते हैं तो सच ही कहते होंगे
मैं हूँ दीवाना, दिल है मस्ताना
गम से बेगाना
मैं हूँ दीवाना, दिल है मस्ताना
गम से बेगाना
लोग कहते हैं तो सच ही कहते होंगे
लोग कहते हैं तो सच ही कहते होंगे

धरती बिछौना मेरा
तारे खिलौना मेरा
राहों में उड़ते जुगनू
चंडी और सोना मेरा
मैं दिलवाला हूँ
मैं मतवाला हूँ
ना मैं दौलतमंद हूँ
ना मैं जन्नतमंद हूँ
दिल का करार मांगूं रे
मैं सच्चा प्यार मांगूं रे
दिल का करार मांगूं रे
मैं सच्चा प्यार मांगूं रे

ये दिल किसको दूं
ये दिल किसको दूं

लोग कहते हैं कोई सच ही कहते होंगे
लोग कहते हैं तो सच ही कहते होंगे
मैं हूँ दीवाना, दिल है मस्ताना
गम से बेगाना
मैं हूँ दीवाना, दिल है मस्ताना
गम से बेगाना
लोग कहते हैं तो सच ही कहते होंगे

मस्त कलंदर हूँ मैं
दिल का सिकंदर हूँ मैं
कोई ना समझे मुझको
गहरा समुन्दर हूँ मैं
मैं शहजादा हूँ
मैं शहजादा हूँ
यूँ तो सादा हूँ
ना है शैतान से रिश्ता ना मैं हूँ फ़रिश्ता
मैं तो आदम का बेटा हूँ
मैं तो हव्वा का बेटा हूँ
मैं तो आदम का बेटा हूँ
मैं तो हव्वा का बेटा हूँ

ये दिल किसको दूं
ये दिल किसको दूं

लोग कहते हैं कोई सच ही कहते होंगे
लोग कहते हैं तो सच ही कहते होंगे
मैं हूँ दीवाना, दिल है मस्ताना
गम से बेगाना
मैं हूँ दीवाना, दिल है मस्ताना
गम से बेगाना
लोग कहते हैं तो सच ही कहते होंगे
.............................
Log kehte hain to sach hi-Ye dil kisko doon 1963

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Aug 6, 2010

ता थैया करते आना-पंचायत १९५८

सुनहरे दौर से एक और गीत पेश है। एक अनजान सी फिल्म पंचायत
से ये एक थोडा लोकप्रिय गीत लिया है आज। सन १९५८ की फिल्म
है पंचायत । युगल गीत है ये जिसको गीता दत्त और लता मंगेशकर ने
गाया है। श्यामा का चेहरा आप पहचान जायेंगे। इस फिल्म में राजकुमार
उनके साथ हीरो हैं। इकबाल कुरैशी के संगीतबद्ध किये लोकप्रिय गीतों
में से एक है ये गीत। सभी दौर में ऐसी फ़िल्में बनी जिनका अता पता
मालूम नहीं होता मगर फिल्म के गीत लोकप्रिय हो जाते हैं। फिल्मों का
सैयां अक्सर जादूगर होता है ।

याद कीजिये फिल्म नागिन का गीत जो लता मंगेशकर की सुरीली
आवाज़ में है। वो राजेंद्र कृष्ण की कलम से निकला जादूगर सैयां है और
ये शकील नुमानी की कलम से निकला हुआ । इसको हम फ़िल्मी गीतों
का एक फार्मूला कह सकते हैं।



गीत के बोल:

ता थैया करते आना
ओ रे जादूगर मोरे सैयां
मेरे दिल की लगी बुझाना
ओ रे जादूगर मोरे सैयां
ता थैया करते आना
ओ रे जादूगर मोरे सैयां
मेरे दिल की लगी बुझाना
ओ रे जादूगर मोरे सैयां
ता थैया

तुम सामने तो आ जाओ
दे देंगे दिल नजराना
दिल क्या है जान भी ले लो
आ जाना करके बहाना
तूम सामने तो आ जाओ
दे देंगे दिल नजराना
दिल क्या है जान भी ले लो
आ जाना करके बहाना
अब आओ ना शरमाओ ना
आ जाओ ना तडपाओ ना
ता थैया करते आना
ओ रे जादूगर मोरे सैयां
मेरे दिल की लगी बुझाना
ओ रे जादूगर मोरे सैयां
ता थैया

नज़रों में समा तो चुके हो
अब दिल में कर लो बसेरा
सब जानें तू ही ना जाने
मैं तेरी हूँ तू मेरा
नज़रों में समा तो चुके हो
अब दिल में कर लो बसेरा
सब जानें तू ही ना जाने
मैं तेरी हूँ तू मेरा
अब आओ ना शरमाओ ना
आ जाओ ना तडपाओ ना

ता थैया करते आना
ओ रे जादूगर मोरे सैयां
मेरे दिल की लगी बुझाना
ओ रे जादूगर मोरे सैयां
ता थैया

मैं सड़के उन राहों के
जिन राहों से वो आयें
मैं मांगूं यही दुआएं
ये रहे गुम हो जाएँ
मैं सड़के उन राहों के
जिन राहों से वो आयें
मैं मांगूं यही दुआएं
ये रहे गुम हो जाएँ
अब औ ना शरमाओ ना
आ जाओ ना तडपाओ ना

ता थैया करते आना
ओ रे जादूगर मोरे सैयां
मेरे दिल की लगी बुझाना
ओ रे जादूगर मोरे सैयां
ता थैया

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Mar 23, 2010

इतना ना सता के कोई जाने-बिंदिया १९६०

हिंदी फिल्म संगीत जगत में लगभग सभी संगीतकारों
ने अपनी उपस्थिति दर्ज करायी है। अब आप संगीतकार
का नाम याद रख पायें या नहीं ये अलग बात है, मगर
गीत आपको ज़रूर याद आयेंगे।

ऐसा ही कुछ गीत हैं थोड़ी कम चर्चित फिल्म बिंदिया में,
जो सन १९६० की फिल्म है। इस फिल्म का एक चर्चित
गीत आज पेश है।

आकर्षक धुन में बंधा ये गीत विजया चौधरी नाम की
अभिनेत्री पर फिल्माया गया है। गीत गाया है लता मंगेशकर
ने और इसे संगीतबद्ध किया है इकबाल कुरैशी ने।



गीत के बोल:

इतना ना सता के कोई जाने, ओ दीवाने
इतना ना सता के कोई जाने, ओ दीवाने

आ भी जा के अब तो दिल ना माने, ओ दीवाने
आ भी जा के अब तो दिल ना माने, ओ दीवाने

दिल पे तीर छोड़ के यूँ दूर से ना मुस्कुरा
दूर से ना मुस्कुरा
आ मेरी तन्हाइयों का राजदार बन भी जा
राजदार बन भी जा
अभी हैं दिन बहार के
तो क्यूँ ना हम भी प्यार के
बना लें आशियानें

इतना ना सता के कोई जाने, ओ दीवाने
आ आ आ आ
आ भी जा के अब तो दिल ना माने, ओ दीवाने

तू पास भी है दूर भी ये ख्वाब या ख्याल है
ये ख्वाब या ख्याल है
चैन है ना बेकली अजीब दिल का हाल है
अजीब दिल का हाल है
तू एक पल जुदा रहे
तो मेरा प्यार ये कहे
गुज़र गए ज़माने

इतना ना सता के कोई जाने, ओ दीवाने
आ आ आ आ
आ भी जा के अब तो दिल ना माने, ओ दीवाने

दिल तो दिल जुबां भी बस एक तेरा नाम ले
एक तेरा नाम ले
कदम हैं डगमगा रहे अब आ के मुझको थाम ले
आ के मुझको थाम ले
मचल रही है आरजू
है दिल को तेरी जुस्तजू
तू आ किसी बहाने

इतना ना सता के कोई जाने, ओ दीवाने
आ आ आ आ
आ भी जा के अब तो दिल ना माने, ओ दीवाने

इतना ना सता के कोई जाने, ओ दीवाने
आ आ आ आ
आ भी जा के अब तो दिल ना माने, ओ दीवाने

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Sep 29, 2009

फ़िर आने लगा याद-ये दिल किसको दूँ १९६३

आइये थोड़ा श्वेत श्याम के ज़माने की ओर चला जाए।
एक रफी और उषा खन्ना का गाया हुआ मधुर युगल गीत
आपके लिए प्रस्तुत है। इसमे शशि कपूर और रागिनी
परदे पर दिखाई देंगे। प्याले में नायिका की छबि उभर आती है और
हीरो चहक कर गाने लगता है- फ़िर आने लगा याद वही......
इस गाने के संगीतकार हैं इक़बाल कुरैशी।



गाने के बोल:

फ़िर आने लगा याद वही प्यार का आलम
इंकार का आलम कभी इकरार का आलम
फिर आने लगा याद वोही प्यार का आलम

प्यार का आलम

वो पहली मुलाक़ात में
वो पहली मुलाक़ात में
वो पहली मुलाक़ात में रंगीन इशारे
फिर बातों ही बातों में वो तकरार का आलम

फ़िर आने लगा याद वही प्यार का आलम
प्यार का आलम

वो झूमता बलखाता
वो झूमता बलखाता
वो झूमता बलखाता हुआ सर्व-ए-खरामां
मैं कैसे भुला दूँ तेरी रफ़तार का आलम

फ़िर आने लगा याद वही प्यार का आलम
प्यार का आलम

कब आये थे वो कब गये
कब आये थे वो कब गये, कुछ याद नहीं है
आँखों में बसा है वोही दीदार का आलम

फ़िर आने लगा याद वही प्यार का आलम
इंकार का आलम कभी इक़रार का आलम
प्यार का आलम

प्यार का आलम
प्यार का आलम
हाय प्यार का आलम

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May 16, 2009

"सुबह न आई-चा चा चा" १९६४ की फिर से खोज

ख़ुशी जिसने खोजी, वो धन ले के लौटा
हंसी जिसने खोजी, चमन ले के लौटा
मगर प्यार को खोजने जो चला वो ,
न तन लेके लौटा, न मन लेके लौटा


नीरज की लिखी एक अमर कृति । इसको अमर बनाने में
इकबाल कुरैशी और मोहम्मद रफी का बराबर योगदान है।
"आ जा " इन शब्दों को रफी ने जिस खूबी से गाया है तरह तरह
के गीतों में , वो बेमिसाल है। रफी की भावाभिव्यक्ति का एक
शानदार नमूना है ये गाना।

गाने की शुरुआत में और अंत में घंटियों की आवाज़ है जो इस
गाने को ईश्वरीय स्पर्श देती है। बाकी के साज़ जो इस्तेमाल हुए
हैं इस गाने में, वो भी लाजवाब हैं। सारे साजों के बीच जो रफी
और तबले की जुगलबंदी चलती है वो श्रोता को बांध के रखती है।

जिन लोगों का ये मानना है की हेलन गंभीर किस्म के रोल के लिए
उपयुक्त हिरोइन नहीं है, और जिन्होंने हेलन के अच्छे कलाकार होने
की धारणा फिल्म "लहू के दो रंग" देख के बनायीं हो, उन फिल्म प्रेमियों
के लिए है ये विडियो।

गाने में हीरो चंद्रशेखर हैं जो अपने खोये प्यार की तलाश में अपनी
भावनाएं रफी के गाने के माध्यम से प्रकट कर रहे हैं । ना उम्मीदी
के भंवर में उलझे विचार गाने की शकल में प्रकट हो रहे हैं। हिंदी
फिल्मों में अधिकतर गीत सिचुअशन को ध्यान में रख के ही लिखे
जाते हैं। नीरज ने एक बहुत ही बढ़िया प्रयास किया है। नीरज जिनको
हमारे हिंदी फिल्म संगीत प्रेमी केवल एस डी बर्मन के संगीत बद्ध किये
गीतों से ही याद किया करते हैं उन्होंने और भी कई अमर कृतियाँ दी हैं
फिल्म जगत को, जिसका एक उदहारण है- "स्वप्न झरे फूल से" फिल्म
'नयी उम्र की नयी फसल' में जिसकी संगीत रचना संगीतकार रोशन ने
की थी ।





गीत के बोल:
ख़ुशी जिसने खोजी, वो धन ले के लौटा
हंसी जिसने खोजी, चमन ले के लौटा
मगर प्यार को खोजने जो चला वो,
न तन ले के लौटा, न मन ले के लौटा

सुबह ना आई शाम ना आई
सुबह ना आई शाम ना आई
जिस दिन तेरी याद ना आई
याद ना आई
सुबह ना आई शाम ना आई

कैसी लगन लगी ये तुझसे
कैसी लगन ये लगी
हंसी खो गई खुशी खो गई
आंसू तक सब रहन हो गए
अर्थी तक नीलाम हो गई
अर्थी तक नीलाम हो गई
दुनिये ने दुश्मनी निभाई
याद ना आई

सुबह ना आई शाम ना आई

तुम मिल जाते तो हो जाती
पूरी अपनी राम कहानी
खंडहर ताजमहल बन जाता
गंगाजल आँखों का पानी
साँसों ने हथकड़ी लगाई
याद ना आई

सुबह ना आई शाम ना आई

जैसे भी हो तुम आ जाओ
आग लगी है तन और मन में
आग लगी है तन और मन में
एक तार की दूरी है
एक तार की दूरी है
बस दामन और कफ़न में
हुई मौत के संग सगाई
याद ना आई
आ जाओ आ जाओ आ जाओ
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Subah na aayi-Cha cha cha 1964

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