Dec 5, 2016

ढूंढे हर इक….किनारे-क्वीन २०१४

फिल्म क्वीन कंगना राणावत के लिए बनायीं गई फिल्म
मालूम पड़ती है, और है भी. इस फिल्म में उनके अभिनय
की भूरि भूरि प्रशंसा की है देखने वालों ने और फिल्म देख
के क्रिटिकली ऐक्लैम करवाने वालों ने.

कंगना राणावत कब कंगना रानाउत कहलाई जाने लगीं और
उसके बाद कब वे कंगना रनौत कही जाने लगीं इस पर भी
एक फिल्म बनाई जा सकती है. ये मीडिया बतलाया करता
है जैसे वो फाईनल को कब फिनाले कहने लगे, कब उसे
फिनाइल कहने लगे कहा नहीं जा सकता. ऐसे फालतू मुद्दों
पर शायद मीडिया को ध्यान देने की ज़रूरत नहीं होती. वो
तो दिल्ली और उसके आसपास की ख़बरें विज्ञापन के छौंक
में मिला कर दर्शक को ये बतलाना चाहता है कि दिल्ली और
एन सी आर ही असली भारत है.

छोडिये, हमने तो ‘सवाल खड़ा कर दिया’ जो कि मीडिया का
अति प्रिय तकिया कलाम है. हम तो बस गीत सुनते हैं जिसमें
हमें आमिर खान की फिल्म जो जीता वही सिकंदर के गीत
पहला नशा की सी महक आती है वैसे ही जैसे आप आज के युग
के किसी भी स्नैक का पैकेट ले लें जिस पर मसाला लिखा हो,
आँख बंद कर लें तो आपको शायद ही मालूम हो कि आप चिप्स
खा रहे हैं,  नूडल्स या फिर विलायती जौ से बना कोई व्यंजन.


अन्विता दत्त गुप्तन के लिखे गीत के लिए तर्ज़ बनाई है अमित त्रिवेदी
ने और इसे मोहन कन्नन गा रहे हैं. पुणे के अग्नि बैंड का हिस्सा है
मोहन.



गीत के बोल:

ढूंढे हर इक सांस में
डुबकियों के बाद में
हर भंवर के पास किनारे
बह रहे जो साथ में
जो हमारे खास थे
कर गये अपनी बात किनारे

गर माझी सारे साथ में
गैर हो भी जायें
तो खुद ही तो पतवार बन
पार होंगे हम
जो छोटी सी हर इक नहर
सागर बन भी जाये
कोई तिनका ले के हाथ में
ढूंढ लेंगे हम किनारे
किनारे किनारे

खुद ही तो हैं हम किनारे
कैसे होंगे कम किनारे
हैं जहाँ हैं हम किनारे
खुद ही तो हैं हम
हाँ खुद ही तो हैं हम

औरों से क्या
खुद ही से पूछ लेंगे राहें
यहीं कहीं मौज़ों में ही
ढूंढ लेंगे हम
बूँदों से ही तो है वहीं
बांध लेंगे लहरें
पैरों तले जो भी मिले
बाँध लेंगे हम
किनारे किनारे किनारे
..........................................................................
Dhoondhe hare k saans…kinare-Queen 2014

0 comments:

© Geetsangeet 2009-2020. Powered by Blogger

Back to TOP