Dec 18, 2016

प्रीत लगा के मैंने ये फल-आँखें १९५०

कर्म करने का फल अवश्य मिलता है. कर्म करने से मिलता है
और कर्म न करने से कुछ नहीं मिलता है. मिलता अवश्य है
मगर. ये कुछ और कुछ नहीं में नहीं का फर्क है बस.

प्रस्तुत गीत में एक कर्म किया गया है और उसका क्या फल
मिला वो गीत में बतलाया गया है. अक्सर इस प्रकार के कर्म
में पूर्वानुमान लगा पाना कठिन होता है.

मुकेश का गाया यह पुराना गीत सुनते हैं पुरानी फिल्म आँखें
से. सन १९५० की फिल्म आँखे के लिए इस गीत को लिखा था
रजा मेहँदी अली खान ने. मदन मोहन की धुन है. वीडियो में
नायक नायिका दोनों बीमार से दिखलाई दे रहे हैं. नायक कम
से कम हिले डुले ये गीत गा रहा है. इसे कहते हैं एनर्जी सेविंग
सोंग.




गीत के बोल:

प्रीत लगा के मैंने ये फल पाया
सुध बुध खोई चैन गंवाया
प्रीत लगा के मैंने ये फल पाया
सुध बुध खोई चैन गंवाया

तुमने मुझसे प्यार किया था
उल्फत का इकरार किया था
अपना बना के पहले बिसराया
प्रीत का वादा खूब निभाया

प्रीत लगा के मैंने ये फल पाया
सुध बुध खोई चैन गंवाया

आ के जो देखे तू दुःख मेरे
आ के जो देखे तू दुःख मेरे
क्या ना बहेंगे आंसू तेरे
दुःख दे के मुझको तूने क्या सुख पाया
तुझको बेदर्दी रहम ना आया

प्रीत लगा के मैंने ये फल पाया
सुध बुध खोई चैन गंवाया

एक झलक फिर से दिखला दे
ख्वाब में आ कर इतना बता दे
ज्योत बुझा कर इन नैनों की
किसके मन का दीप जलाया

प्रीत लगा के मैंने ये फल पाया
सुध बुध खोई चैन गंवाया
..............................................................
Preet laga ke maine ye phal paaya-Aankhen 1950

Artists: Shekhar, Nalini Jaywant

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