शराब चीज़ ही ऐसी है-पंकज उधास गज़ल
ऑफिशियल है-पीने वालों को पीने का बहाना चाहिए. पीने वालों
को सर्दी, गर्मी हो या बरसात कोई न कोई वजह चाहिए पीने के
लिए. किसी किसी दिन तो वजह नहीं मिलती इसलिए पीना पढ़ती
है.
आज सुनते हैं मयखाना किंग पंकज उधास की एक गज़ल. पीने
वाले के अंदर से निकली आवाज़ की तरह है ये. न छोड़ी जाए...
शराब की तुलना यार से कर दी गई है-ना छोड़ा/छोड़ी जाए. बोल
लिखे हैं सरदार अंजुम ने और मेरे ख्याल से इसकी धुन स्वयं
पंकज उधास ने बनाई है.
बोल:
शराब चीज़ ही ऐसी है न छोड़ी जाये
ये मेरे यार के जैसी है न छोड़ी जाये
शराब चीज़ ही ऐसी है न छोड़ी जाये
ये मेरे यार के जैसी है न छोड़ी जाये
शराब चीज़ ही ऐसी है
हर एक शय को जहां में बदलते देखा है
हर एक शय को जहां में बदलते देखा है
हर एक शय को जहां में बदलते देखा है
मगर ये वैसे की वैसी है न छोड़ी जाये
ये मेरे यार के जैसी है न छोड़ी जाये
शराब चीज़ ही ऐसी है
किसी के दम से पिघलती है ये बोझल रातें
किसी के दम से पिघलती है ये बोझल रातें
किसी के दम से पिघलती है ये बोझल रातें
मगर ये पानी के जैसी है न छोड़ी जाये
ये मेरे यार के जैसी है न छोड़ी जाये
शराब चीज़ ही ऐसी है
यही तो टूटे दिलों का इलाज़ है अंजुम
यही तो टूटे दिलों का इलाज़ है अंजुम
यही तो टूटे दिलों का इलाज़ है अंजुम
मैं क्या कहूँ तुझे कैसी है ना छोड़ी जाये
ये मेरे यार के जैसी है न छोड़ी जाये
शराब चीज़ ही ऐसी है न छोड़ी जाये
ये मेरे यार के जैसी है न छोड़ी जाये
शराब चीज़ ही ऐसी है
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Sharab cheez hi aisi hai Pankaj Udhas Ghazal
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