आया रे खिलौने वाला-बचपन १९७०
खिलौने कोई भूल सकता है भला. सयानों की मानें तो सबसे
ज्यादा टेंशन फ्री जिंदगी इंसान की बचपन में ही होती है.
आनंद बक्षी का लिखा लुभावना गीत मोहम्मद रफ़ी ने गाया है.
लक्ष्मी प्यारे फिल्म के संगीतकार हैं.
गीत के बोल:
आया रे खिलौने वाला
खेल खिलौने ले के आया रे आया रे
आया रे खिलौने वाला
खेल खिलौने ले के आया रे आया रे
आओ मेरी आँख के तारो
कहाँ गए ओ मेरे प्यारो
हो ओ ओ ओ ओ ओ ओ
आया रे खिलौने वाला
खेल खिलौने ले के आया रे आया रे
आया रे खिलौने वाला
खेल खिलौने ले के आया रे आया रे
शोर क्यों मचाती है ये बरखा दीवानी
शोर क्यों मचाती है ये बरखा दीवानी
बरसा घटाओं से लाखों मन पानी
मेरी तरह तुम कब रोये हो
ओ सावन के नज़ारों
आया रे खिलौने वाला
खेल खिलौने ले के आया रे आया रे
आया रे खिलौने वाला
खेल खिलौने ले के आया रे आया रे
भरी हैं कलियों से हर बाग़ की डाली
भरी हैं कलियों से हर बाग़ की डाली
मेरी तो झोली में दो फूल थे खाली
छीन लिए वो भी कहीं तुमने
ओ बेईमान बहारों
आया रे खिलौने वाला
खेल खिलौने ले के आया रे आया रे
आया रे खिलौने वाला
खेल खिलौने ले के आया रे आया रे
देखो मैंने गुड्डे की शादी है रचाई
देखो मैंने गुड्डे की शादी है रचाई
मेरी प्यारी गुड़िया की बारात है आई
गोरी चली बाबुल के घर से
डोली ले आओ कहारों
आया रे खिलौने वाला
खेल खिलौने ले के आया रे आया रे
आया रे खिलौने वाला
खेल खिलौने ले के आया रे आया रे
आओ मेरी आँख के तारो
कहाँ गए ओ मेरे प्यारो
हो ओ ओ ओ ओ ओ ओ
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Aaya re khilaune waala aaya re-Bachpan 1970
Artist: Sanjeev Kumar
5 comments:
thanks for sharing this gem of a song from the golden era of indian film music
my thanks too :wink:
वीडियो यहाँ दिखना बंद हो गया इसलिए खुश हो :rolleyes:
Yaadgaar
संजीव कुमार दा जवाब नहीं
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