Feb 24, 2017

पी के शंकर जी की बूटी-रणभूमि १९९०

९० के दशक में ये फ़िल्मी गीत खूब सुनने को मिला करता था. आज
सुनिए एक बार फिर से. इसे अमित कुमार और कविता कृष्णमूर्ति
ने गाया है.

सन १९९० की फिल्म रणभूमि के लिए इसे लिखा असद भोपाली ने
और इसकी धुन बनाई है लक्ष्मी प्यारे ने. शंकर जी की बूटी का जिक्र
है इसमें.

वीडियो  अपलोड करने वालों को दिल से धन्यवाद.



गीत के बोल:

बम चिक चिक बम चिक चिक बम
बम भोले
बम चिक चिक बम चिक चिक बम
बम भोले
पी के शंकर जी की बूटी
अँखियाँ खुल गयीं निंदिया टूटी
पी के शंकर जी की बूटी
अँखियाँ खुल गयीं निंदिया टूटी
नया सा लागे सब संसार
ज़रा सी, ओए ज़रा सी, हाय
ज़रा सी और पिला दे यार
ज़रा सी और पिला दे यार

पी के शंकर जी की बूटी
अँखियाँ खुल गयीं निंदिया टूटी
नया सा लागे सब संसार
ज़रा सी और पिला दे यार
ज़रा सी और पिला दे यार
पी के शंकर जी की बूटी
अँखियाँ खुल गयीं निंदिया टूटी
पी के शंकर जी की बूटी
अँखियाँ खुल गयीं निंदिया टूटी

मैंने कम पी तूने ज्यादा
कर ले प्याला आधा आधा
मैंने कम पी तूने ज्यादा
कर ले प्याला आधा आधा
पी ले लेकिन  तू बहकी तू
लाज रहेगी ना मर्यादा
बढ़ा ना बात कर तकरार
ज़रा सी और पिला दे यार
ज़रा सी और पिला दे यार
हो पी के शंकर जी की बूटी
अँखियाँ खुल गयीं निंदिया टूटी
हो पी के शंकर जी की बूटी
अँखियाँ खुल गयीं निंदिया टूटी

उतरी सूरत और बिखरे बाल
हाय ये बहकी अरे बहकी चाल
उतरी सूरत और बिखरे बाल
हाय ये बहकी अरे बहकी चाल
दर्पण लाऊं तुझे दिखाऊँ
मुझे बुरा है तेरा हाल
ये बातें हो गयीं दिल के पार
ज़रा सी और पिला दे यार
ज़रा सी और पिला दे यार
हो पी के शंकर जी की बूटी
अँखियाँ खुल गयीं निंदिया टूटी
पी के शंकर जी की बूटी
अँखियाँ खुल गयीं निंदिया टूटी

देर ना कर बाहों में छुपा ले
सब कुछ है अब तेरे हवाले
देर ना कर बाहों में छुपा ले
सब कुछ है अब तेरे हवाले
हाय मैं तेरे सदके जाऊं
भाड में जाएँ दुनिया वाले
समझ ले होगा बेड़ा पार
ज़रा सी और पिला दे यार
ज़रा सी और पिला दे यार

पी के शंकर जी की बूटी
अँखियाँ खुल गयीं निंदिया टूटी
पी के शंकर जी की बूटी
अँखियाँ खुल गयीं निंदिया टूटी
नया सा लागे सब संसार
ज़रा सी, ओए ज़रा सी, हाय
ज़रा सी और पिला दे यार
ज़रा सी और पिला दे यार
ज़रा सी और पिला दे यार
ज़रा सी और पिला दे यार
………………………………………………………………
Pee ke Shankar ji ki booti-Ranbhoomi 1990

Artists: Arun Bakshi, Rishi Kapoor, Neelam

3 comments:

Geetsangeet March 22, 2020 at 8:20 PM  

इस पोस्ट को पॉपुलर बनाने के लिए सबका ह्रदय से आभार

Anupam March 22, 2020 at 11:27 PM  

मेरी तरफ से भी आभार स्वीकारें
सुप्त, गुप्त और लुप्त सभी प्रकार के पाठक.

Geetsangeet March 23, 2020 at 10:10 PM  

एक शब्द आप भूल रहे हैं बंधु-विलुप्त

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