Mar 1, 2017

आँखों में दिल है-नाज़ १९५४

लता मंगेशकर की ५० के दशक की आवाज़ शुद्ध प्लेटिनम है. इस
दौर के प्रारंभ में खेमचंद प्रकाश, गुलाम हैदर, अनिल बिश्वास,
श्याम सुंदर, सी रामचंद्र, गुलाम मोहम्मद, हंसराज बहल, रौशन,
सचिन देव बर्मन, शंकर जयकिशन, एस मोहिंदर और कई अन्य
संगीतकारों ने लता मंगेशकर के लिए नायाब गीत बनाये. इस सूची
में मदन मोहन भी शामिल हैं लेकिंन उनके गीतों पर चर्चा इतनी
हो चुकी है कि बाकी के संगीतकार जनता भूल जाती है. इस दौर
में बुलो सी रानी, लच्छीराम तमर, अविनाश व्यास, हेमंत कुमार,
दत्ताराम भी शामिल रहे और उन्होंने भी कई उत्तम धुनें दीं.

अजीब इत्तेफाक है कि फिल्म राजू बन गया जेंटलमैन के गीत
‘सीने में दिल है’ को सुनते वक्त ये गीत याद आता है. अगर
प्लेसमेंट की बात करें तो दोनों गीत कंट्रास्ट हैं. जहाँ नए गीत
में चीज़ों का प्लेसमेंट अपनी जगह है, वहीँ नाज़ फिल्म के गीत
में प्लेसमेंट कवि-कल्पना अनुसार अलग जगहों पर है. अलग
अलग दौरों के गीत हैं और अलग अलग फ्लेवर वाले. उस गीत
में दिल सीने में प्लेस्ड है और इसमें आँखों में.

प्रस्तुत गीत सत्येन्द्र अथैया का लिखा हुआ है. इनका लिखा गीत
आपने कुछ साल पहले ही सुना था एक.




गीत के बोल:

तुम कहाँ  तुम कहाँ
आ हा आ हा आ हा आ हा
हो ओ ओ ओ ओ ओ ओ तुम कहाँ
आ हा आ हा आ हा आ हा

आँखों में दिल है  होंठों पे जाँ
तुम कहाँ हो तुम कहाँ
तुम कहाँ
आँखों में दिल है  होंठों पे जाँ

सुनसान राहों पे आँखें बिछाये
सीने में लाखों अरमान छुपाये
सीने में लाखों अरमान छुपाये
दिल को भुलावे देती रही पर
दिल को भुलावे देती रही पर
तुमको न आना था तुम न आये
मिटने लगे मंज़िल के निशाँ

तुम कहाँ हो तुम कहाँ
तुम कहाँ
आँखों में दिल है  होंठों पे जाँ

पूछा है मैं ने शाम-ओ-सहर से
वीरानियों की उजड़ी नज़र से
वीरानियों की उजड़ी नज़र से
मेरी पुकारें मेरी पुकारें
मायूस हो कर टकरा के लौटीं
दीवार-ओ-दर से

तुम कहाँ तुम कहाँ तुम कहाँ

चुप है ज़मीं चुप आसमाँ
तुम कहाँ हो तुम कहाँ
तुम कहाँ
आँखों में दिल है  होंठों पे जाँ
तुम कहाँ तुम कहाँ
तुम कहाँ हो तुम कहाँ
तुम कहाँ
आँखों में दिल है  होंठों पे जाँ
तुम कहाँ हो तुम कहाँ
तुम कहाँ हो तुम कहाँ
……………………………………………………….
Tum kahan tum kahan-Naaz 1954

© Geetsangeet 2009-2020. Powered by Blogger

Back to TOP