Apr 3, 2017

तुम बसी हो कण कण अंदर-माता भजन

आज चैत्र नवरात्र की सप्तमी तिथि है. इस अवसर पर
सुनते हैं एक माता भजन सोनू निगम का गाया हुआ.




गीत के बोल:

माँ माँ माँ
तुम बसी हो कण कण अंदर माँ
तुम बसी हो कण कण अंदर माँ
हम ढूंढते रह गए मंदिर में
तुम बसी हो कण कण अंदर माँ
हम ढूंढते रह गए मंदिर में
हम मूढमति हम अनजाने
हम मूढमति हम अनजाने
माँ सार तुम्हारा क्या जानें
तुम बसी हो कण कण अंदर माँ
हम ढूंढते रह गए मंदिर में
तुम बसी हो कण कण अंदर माँ
हम ढूंढते रह गए मंदिर में

तेरी माया को ना जान सके
तुझको ना कभी पहचान सके
हम मोह की निद्रा सोये रहे
माँ इधर उधर ही खोये रहे
तू सूरज तू ही चन्द्रमा
तू सूरज तू ही चन्द्रमा
हम ढूंढते रह गए मंदिर में
तुम बसी हो कण कण अंदर माँ
हम ढूंढते रह गए मंदिर में
तुम बसी हो कण कण अंदर माँ
हम ढूंढते रह गए मंदिर में

हर जगह तुम्हारे डेरे माँ
कोई खेल ना जाने तेरे माँ
इन नैनों को ना पता लगे
किस रूप में तेरी ज्योत जगे
तू पर्वत तू समुन्दर माँ
तू पर्वत तू समुन्दर माँ
हम ढूंढते रह गए मंदिर में
तुम बसी हो कण कण अंदर माँ
हम ढूंढते रह गए मंदिर में
तुम बसी हो कण कण अंदर माँ
हम ढूंढते रह गए मंदिर में

कोई कहता तुम ही पवन में हो
और तुम ही ज्वाला अगन में हो
कहते हैं अम्बर और ज़मीन
तुम सब कुछ हो हम कुछ भी नहीं
फल फूल तुम्हीं हो तरुवर माँ
फल फूल तुम्हीं हो तरुवर माँ
हम ढूंढते रह गए मंदिर में
हम ढूंढते रह गए मंदिर में

तुम बसी हो कण कण अंदर माँ
हम ढूंढते रह गए मंदिर में
तुम बसी हो कण कण अंदर माँ
हम ढूंढते रह गए मंदिर में
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Tum basi ho kan kan andar-Mata Bhajan

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