Jun 2, 2017

अफसाना लिख रही हूँ-दर्द १९४७

सन १९४७ की फिल्म दर्द का सबसे लोकप्रिय गीत सुनते हैं. ये
गीत उमा देवी उर्फ टुनटुन ने गाया है. उमा देवी के गाये गीतों
में सबसे लोकप्रिय भी यही है. इनका पूरा नाम है उमा देवी खत्री.

उमा देवी के गायन शैली उस समय की गायिकाओं जैसी ही है.
५० के दशक के बाद फिल्मों में उनके गीत नहीं सुनाई दिए. ये
वो समय था जब सभी पुरानी गायिकाओं की आवाजें एक एक कर
के गुम होना शुरू हुईं. लता मंगेशकर और आशा भोंसले के
आगमन के बाद पुरानी गायिकाओं को अवसर कम ही प्राप्त हुए.
केवल शमशाद बेगम ने अपनी उपस्थिति बनाये रखी कुछ समय
तक.



गीत के बोल:

अफ़साना लिख रही हूँ दिल-ए-बेक़रार का
आँखोँ में रंग भर के तेरे इंतज़ार का
अफ़साना लिख रही हूँ

जब तू नहीं तो कुछ भी नहीं है बहार में
जी चाहता है मुंह भी न देखूँ बहार का
आँखोँ में रंग भर के तेरे इंतज़ार का
अफ़साना लिख रही हूँ

हासिल हैं यूँ तो मुझको ज़माने की दौलतें
लेकिन नसीब लाई हूँ इक सोग़वार का
आँखोँ में रंग भर के तेरे इंतज़ार का
अफ़साना लिख रही हूँ

आजा कि अब तो आँख में आँसू भी आ गये
साग़र छलक उठा मेरे सब्र-ओ-क़रार का
आँखोँ में रंग भर के तेरे इंतज़ार का
अफ़साना लिख रही हूँ
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Afsana likh rahi hoon-Dard 1947

Artist: Munawwar Sultana

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